Harsh Gusain   (हर्ष)
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मनसा मन आलोक्य☀️
Joined 10 April 2018


मनसा मन आलोक्य☀️
Joined 10 April 2018
13 FEB 2022 AT 8:34

देखना! आज-कल का ये
तथाकथित योग, यानी कि
"योगा",
एक दिन सभी को
मानसिक रोगी बना देगा।

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10 FEB 2022 AT 19:14

जीवन बस दो शब्दों का नाम है
एक तुम्हारा चुनाव
और दूसरा है.........

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26 JAN 2022 AT 10:02

जीतम दलगीर

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8 JAN 2022 AT 23:46

*वासना के लेप में
लिपटा हुआ चित्र*

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7 JAN 2022 AT 23:24

ध्यान का अर्थ
आंखें बंद करने से नहीं है,
ध्यान का आशय
आंखें खोल लेने से है।

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13 DEC 2021 AT 20:53

थूकता हूँ
ऐसे समाज के मुह पर
जो किसी के
जात पूछकर प्रेम करने का
समर्थन करता हो।
औऱ जो वास्तव में प्रेम है
जो बंदिशें नहीं जानता
कोई जात नहीं समझता
जिस बेचारे को
इतना ढोंग भी नहीं आता
कि किसी से बात भर
करने को जात पूछ ले ,
ये समाज उसके
सांस भर लेने पर भी
रोक लगा देता है,

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7 DEC 2021 AT 9:38

*दोहे*

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30 NOV 2021 AT 22:59

खुदकी क़ीमत जाननी हो
तो आइना देखना
किसी की आंखों में देखना
ठीक नहीं।

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19 NOV 2021 AT 21:08

*पापखण्ड*

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17 NOV 2021 AT 12:52

*आँटी*

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