Harsh Goyal   (Happy)
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Not a poet, just understand little poetry
Joined 21 July 2017


Not a poet, just understand little poetry
Joined 21 July 2017
4 JUL 2021 AT 0:30

मैं कागज़ हूँ 
सफ़ेद सादा और शांत
मैं रखा हुआ हूँ घर के उस कोने 
जहाँ तुम कभी कभी आ जाते हो रोने 
जब किसी पहेली का जवाब बुझा नहीं पाते हो 
लाख कोशिशों बाद भी खुद को समझा नहीं पाते हो 
जब तुम चिंतित अपने खयालो के घोड़े दौड़ाते हो 
जब भरी महफ़िल में भी अकेले नज़र आते हो 
तब रुकना 
और देखना एक बार नज़रे घुमा कर 
उठाना कलम और देखना मुझे अपने किस्से सुनाकर 
सुनूंगा तुम्हारी हर बात पूरी शिद्दत से 
खोल सकोगे वो सारे राज़ जो बंद है एक मुद्दत से 
जब तुम खुद की गहराइयो से मेरे साथ बातें करने लगोगे 
जब सफ़ेद इस बदन पर अपने ज़ज़्बातो के रंग भरने लगोगे 
तब तुम खुद को अपने दुःख से हल्का पाओगे 
मुझे तलाश है दो पल के लिए दोस्त की, बनना चाहोगे?

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14 JUN 2021 AT 3:42

Machine!
He loved it
So much that he spends hours
Opening, experimenting, playing
Investigating every bit of it

Machine!
He wanted to make one
Full of complications and features
Solving every problem that exists.

Machine!
He finally made one
A replica of himself
That can do everything but being alive.

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15 AUG 2020 AT 21:18

"Dhoni retired silently"- they said.

Maybe they havent considered the sound of million hearts breaking.

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13 AUG 2020 AT 14:44

झोपड़ी टपकती है पानी की एक बूँद से
महलों को ख्वाइश है बारिश में चाय की

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6 AUG 2020 AT 14:46

झोपडी़ डूबी है अँधेरे के समंदर में
महलों को है हसरत सूरज निगल जाने की

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3 AUG 2020 AT 22:16

बहुत टूटा होगा खुदा माँ की कमी महसूस करके
आंसू जो ज़मीं पर गिरे तो बहन बन गए

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3 AUG 2020 AT 22:09

वो धागा भी क्या गर्व से इतराया होगा
जब पहली बार किसी बहन ने उसे रक्षा सूत्र बनाया होगा



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2 AUG 2020 AT 15:34

इंद्रधनुष के कुछ रंग मेरे पास उधार हैं
अक्सर लोग उन्हें दोस्त बुलाया करते हैं।

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7 JUL 2020 AT 10:44

From "Sachin out ho gaya?" to "Dhoni hai na" a man achieved eveything and inspired millions

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1 JUL 2020 AT 20:10

सफ़ेद लिबास, सख्त दिल और लबों पर मुस्कान लिए फिरता है
वो फरिश्ता जो रोज़ दो हाथोंं में कई जान लिए फिरता है
न जाने कौन सी सिफ़त बक्शी है उसे
खुदा से मौत छीनकर नाम-ए-इन्सान लिए फिरता है

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