Harsh garg   (Ìntrovért_tales)
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Joined 8 September 2018


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Joined 8 September 2018
10 APR AT 22:17

कुछ इस तरह संवर कर वो सामने आए,
मानो खुदा ने ईद को ईदी दे दी।

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14 MAR AT 22:12

सर्दी की बारिश के ये बोसे,
सूखे पेड़ पर परिंदो के घोंसले,
चीड़ के पेड़ पर जमी बर्फ,
पहाड़ों के वो गुमनाम रास्ते,
वो सफर पुराना कशिश नई,
इश्क़,मोहब्बत,आशिकी नई,
पुराने तुम और जज्बात तुम्हारे,
पहाड़ों के वो गुमनाम रास्ते|

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8 FEB AT 22:53

सूर्यास्त से सूर्योदय तक,
बसंत से पतझड़ तक,
मौन धरा गगन पटल
जीवन का पर्याय है।
शाखा से जड़ तक,
गमलों से वृक्ष तक,
छांव शीतलता मधुरता
सफलता का अनुदान है।

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4 NOV 2023 AT 23:20

तराजू के पलड़ों पर
एहसासों को तोला गया,
एक तरफ़ भ्रम रखा
दूजी ओर सम्मान बिका,
ढूंढा खुद को इधर–उधर
पर अपना पता ना मिला,
गर्भनाल सा मजबूत रिश्ता
एक झटके में टूट गया।

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30 SEP 2023 AT 14:57

रजनीगंधा की महक हो तुम,
हरसिंगार की चहक हो तुम
चंचल नयन अधरों को ताकें,
किसी मोगरे का इत्र हो तुम
सदाबहार सी मुस्कुराहट तुम्हारी,
कोमल कमल सी मासूमियत है
पूछती हो क्या पहनूं मैं,
गुड़हल सी साड़ी में जंचती हो तुम...

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5 SEP 2023 AT 23:52

कविता के सर्ग तक,
पृथ्वी के अर्श तक
सूर्य के तेज से,
चांद के शीत तक
शून्य से अंत तक,
धारा से अनंत तक
ढूंढा मैंने खुद को,
मिला में खुदा तक।

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29 AUG 2023 AT 1:14

खामोशी

शोर में तन्हा जिंदगी,
गहराई में उतर गई
हाथ में रहा पैमाना,
उंगली में सिगरेट थमा गई
कहानी कुछ ऐसे कही,
खामोश भी रही और शोर मचा गई।

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24 JUN 2023 AT 23:09

तुम ख्वाब, तुम मर्ज, तुम दवा हो मेरे
तुम बर्फ तुम हर्फ, तुम शराब हो मेरे
अल्फाज, हमराज सबसे खास हो मेरे
कैसे समझाऊं तुम कलाम हो मेरे

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26 MAR 2023 AT 23:44

Remember you as a password,
Fascinate you as a rider.
Wrote the letter with a wrong name,
Wore the smile for a small game.
Our Chemistry is complicated then mathematics,
That multiplies forever and divide never.
The Story lost the path in deep River
Finding the ways to get you Forever....

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23 NOV 2022 AT 21:02

मैं तुमसे मिल कर तुम सा हो जाता हूं,
तुम्हारी पायल देख कर खनकने लग जाता हूं
ये जो काजल लगाया है तुमने आज
सच बताना, मेरी खातिर लगाया है ना,
तुम्हारी मुस्कान के लाखों दीवाने हैं
मैं उस कतार में सबसे आगे आना चाहता हूं
चाहत है की नाम लिखूं तेरा साहिल की रेत पर, अपने दिल के समंदर में समेट लूं
बना लूं तुम्हे एक गीत, अपना श्रृंगार बना लूं ,
तुम्हारा नाम लिख कर, रेशमी खयालों में खो गई मेरी लेखनी की स्याही,
आओ तुम्हें अपनी महफिल बना लेता हूं।

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