Harsh Dantre   (Harsh Dantre)
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किसी का सरल स्वभाव उसकी कमजोरी नहीं उसका संस्कार होता है..
Joined 13 April 2018


किसी का सरल स्वभाव उसकी कमजोरी नहीं उसका संस्कार होता है..
Joined 13 April 2018
28 MAY 2021 AT 15:49

शिकायत कर रहा है क्यों , यहां बेदर्द राजा है।
हिफाजत कर तू खुद अपनी, यहां बेदर्द राजा है।।

जो फरियाद लाया था, उसे मुजरिम बना डाला।
तू याचक बन रहा है क्यों, यहाँ बेदर्द राजा है।।

मुलाज़िम को बली अपने, सदा चाकर समझता है।
तू साहिब बन रहा है क्यों, यहां बेदर्द राजा है।।

जहां चीखें दफन होतीं, पुकारें मौन हो जातीं।
तू आहें भर रहा है क्यों, बड़ा बेदर्द राजा है।।

कोई चौहान आ जाये, जो गौरी पे भारी हो।
करे जो खात्मा इसका, बड़ा बेदर्द राजा है।।

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31 MAR 2021 AT 8:50

बाद होली, मुट्ठी भर गुलाल रह गया।

आपके न आने का मलाल रह गया।

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27 JAN 2021 AT 11:00

दंगा मन में ठानकर, चले कृषक के वेश,

कुछ उन्मादी कर गए, रैलियों में प्रवेश,

रैलियों में प्रवेश, खूब उत्पात मचाया,

लालकिले को घेर, धर्म का ध्वज फहराया,

कुछ भारत की शान, हाथ में लिए तिरंगा,

कुछ नक्काल किसान, चित्त में उनके दंगा।

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21 JAN 2021 AT 7:13

भुला बैठा वो सर्दी को,शहर के सारे कंकर को,
पहनकर पांव में जूते, चला वो शान से घर को,
नजर भरकर निहारे वो, बात जूतों से करता है,
दुआएं लाख दीदी को,उठाया हाथ अम्बर को।

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11 DEC 2020 AT 20:30

मां के नयन नीर,
तात तिष्ठ अधीर,
पत्नी से दुष्टता,
पति से कर्कशता,
दीन की आह,
संसृष्ट का दाह,
भाई से छल,
बेजुबान पर बल,
सहगामी से झूठ,
बच्चों को
अत्यधिक छूट,
तरुवर को काटना,
राह शूल से पाटना,
वगैरह-वगैरह..…
भारी पड़ेगा, बड़ा भारी पड़ेगा।

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10 DEC 2020 AT 19:54

स्वयं के निर्माण का,
भोग के बलिदान का,
चिंतन करो,
मनन करो,
क्यों आप शांत हैं?
शत्रु विकट दुर्दांत हैं,
इंतजार मत करो,
यद्ध की उद्घोषणा का,
आक्रामक सम्प्रेषणा का,
शमशीरों को दोधार दो,
तकदीरों को ललकार दो,
ऐसा अभ्यास करो रण का,
वैरी संत्रास करे क्षण का,
दुश्मन जब तेरा जयघोष सुने,
घुटने टेके और समर्पण चुने,
आपका पौरुष ही आपकी जय है,
इसे और बढ़ाओ, यही सही समय है।
यही सही समय है।

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9 DEC 2020 AT 18:55

रंग बिरंगे सपनों की, एक प्यारी सी तितली तुम।

पूरे छप्पन बिंजन में, मंहगी काजू कतली तुम।😀

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8 DEC 2020 AT 8:06

बड़ी महफिल में, छोटी सी लड़की,
गीत पढ़ आयी, किसे रास आयी।

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7 DEC 2020 AT 8:13

घर की तन्हाई, किसे रास आयी।
अपनी परछाई, किसे रास आयी।

औरों की इज्जत, सिक्के की तरह।
अपनी रुसवाई, किसे रास आयी

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16 AUG 2020 AT 18:53

तनिक हवा में उड़ने वाले,
जमीं से रिश्ता बनाये रखिये।
बादलों से घुमड़ने वाले,
जमीं से रिश्ता बनाये रखिये।
इसी में मिलकर सुकूँ मिलेगा,
आएगी तुझको नींद लंबी।
जरा सी आहट में जगने वाले,
जमीं से रिश्ता बनाये रखिये।

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