Kuch baate, aisi jo kbhi batayi nhi gyi
Kuch log, bhi aise jo sune nhi gye
Kuch raate, jo kbhi gujaari nhi gyi
Kuch savere, bhi aise jo kbhi dekhe nahi gye
Baitha hota mai bhi us ped ki chhavw me mgr
Kch mitti, mere hatho se fisal gyi
Kuch paudhe, jo usse lgaye nahi gye-
Na kbhi X,Y,Z mile
Na i, j, k smbhal pa rhe hai..
Kash life me kch 1,2,3 sa hota..
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Wo mujhe jaan nahi pai
Mai use rok nhi paya,
Wo mujhe smjha na ski
Mai use tok nahi paya
Wo piche mud na ski,
Mai halat badal na paya
Sawal kam pr muddto se zikr kai the uske ....
jawab aaj b hai dafan par un par aaitbaar mai kbhi kr na paya..
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अंधरो को तो आदत होती है ताने सुनने की
तकलीफ तो रोशनी के हिस्से है
कोशिशे तो बहुत की है ग़ालिब मिलने की मगर्
कुछ किस्से हमेशा अधूरे ही रहे...-
अंधेरों की आदत लग रही है
रोशनी अब बेवफ़ाई कर रही है
डर बढ़ता जा रहा है
कोई तो है, जो दूर जा रहा हैं
या हैं शायद मेरा वहम ये सब
अंधेरों को कहाँ फर्क पड़ता है... कौन जा रहा है...-
Haaye..
Wo aankhe nhi milati koi bat nhi..
Wo online bhi nhi aati koi bat nhi..
Kbhi kbhi... Bemausam barsat badi khubsurat hoti hai
Ye batt unko smjh na aati to koi bat nhi-
आगे आने वाली मंज़िल कितनी ही हँसीन क्यों ना हो
पीछे छूटने वाली हसरत बेचैन कर ही जाती है....-
कोई भाई तो कोई यारा.... तो कोई यार कहता है
पर छोड़ो ये सब तो कहने की बातें है कहने वाला कहता रहता है
मेरा कोई कहा नहीं मानते वो.... उसकी हर बात उन्हे मुंह-जबानी याद है।।।
मुक्कमल तौर पर भूले भी नहीं है मेरी दोस्ती का नज़राना
पर शायद अब हम आम लोग है और वो कुछ खास है
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क्या तजुर्बा, क्या तालीम, क्या सीख मिली है
वो मेरा पहला इश्क़ है और उससे दर्द की भीख मिली है
तो गौर से सुन गालिब तेरा आशिक सज़ा को तैयार है
अरे क्या पाक मौत आई है कातिल मेरा पहला प्यार है
बस एक इलतज़ा , ख्वाहिश , आख़िरी काम और कर दे ये ले खँजर और दिल के पार कर दे
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