Harsh   (Harsh kr. Sharma)
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Joined 11 April 2020


Joined 11 April 2020
16 MAR 2024 AT 1:36

मैं बूंद दरिया की और वो प्यार का दरिया,
फिर बहस छिड़ी दरिया से बूंद या बूंद बूंद से दरिया।।

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14 JUN 2021 AT 5:46

When you know
its the right
time to stop,
"Just Stop"
And you will
See one day
You will be
Unstoppable

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29 MAY 2021 AT 10:55

दे सके तो दो पन्ने और दे दे जिंदगी के मुझको,
अधूरी मेरी एक और कहानी लिखनी है मुझे,
मैं राजा हूं अधूरी कहानियों का अपनी,
अधूरी कहानियों की एक किताब लिखनी है मुझे।

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16 SEP 2021 AT 20:34

मिट्टी,नदिया,पेड़,पौधे,पक्षी,पत्ती पर गिरी
पानी की हर बूंद वहा कुछ कहती है,
ऐसे ही नही दुनिया उसको देव भूमी कहती है।❤️🙏❤️

Luv uh Uttrakhand❤️

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3 MAY 2021 AT 6:29

खामोशी से बुला रहा था,अपने दायरे से मुझको,
जंजीरों मे बंधा उसका प्यार लगा इंतजार मे है मेरे।

बिखर रहे थे वो आंसू उसके बिस्तर पर कल फ़िर से,
लगा सीने से लिपटकर रोया वो फिर मेरे ।

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7 APR 2021 AT 7:38

हल्की है कलम मेरी ,पर शब्द बहुत भारी लिख रहा हूं,
तेरी खामोशी मे चीखती तेरी एक कहानी लिख रहा हूं।
अनजान है तू मुझसे और मैं तुझसे अबतक,
पर मिलती सी हमारी लकीरों की कहानी लिख रहा हूं।

वक्त मे आज के सत्य की तलाश है मुझको,
मैं पानी पर आग,और आग पर पानी लिख रहा हूं।
फरेबो से लिपटी , आत्मा इनकी मृत्य है
दुनिया के धोंको से मिट्टी होती हमारी जवानी लिख रहा हूं

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4 FEB 2021 AT 22:58

""" YOU """

You know " You are better "
You know " You deserve better "
You know " You are more than this "
You know " You can do this "
You know " You are doing it wrong "
You know " You are cheating on you"
You know " You are limitless "
You know " You can change your life"
You know " You are your only hope "
You know " You will win "

" Its You " "Only You" So " Be You "

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4 FEB 2021 AT 22:25

प्यार इतना है पर नजर आता नहीं,
तकलीफ अपनी वो बता पाता नहीं।
शायर और भी कई गुमशुदा है यहां,
दर्द हर कोई लिख पाता नहीं।

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22 NOV 2020 AT 15:22

❤️...तेरा शहर...❤️

सड़को पर दिख रही थी कुछ यादें,
गाड़ी के पहिये संग आ रही थी ,
मैं छोड़ रहा था एक एक कर उनको,
नदी जहां भी मुझे नजर आ रही थी,

नहाकर निकला मैं गंगा के जल से भी,
पवित्र और भी उस शहर की यादें होती
जा रही थी,
आसमान नीला था जब देखा मैंने जाते हुए,
पहुँचा अपने शहर तो अंधेरे ही नजर आ रहे थे

समझ ही नही पाया कि कुछ पा लिया
या कुछ खो दिया खास मैंने,
मुझे मेरे हाथ बस खाली ही नजर आ रहे थे,
जो थे मेरे अपने शहर के,जितना पास
आया शहर के वो दिलसे दूर जा रहे थे,
कुछ लम्हे ही बिताये थे जिस शहर मे,
वो कुछ लम्हे सालोँ पर हावी होते जा रहे थे।

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18 NOV 2020 AT 3:04

अजब ही दिल्लगी है उसकी भी यारो,
मैंने जाना उसको उससे दूर जाकर,
मैं जागा आज रात भर उसको सोचकर,
औऱ वो जागी ही नही मुझे ख्वाब मे पाकर।

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