खामोशियों की सुनो तो बहुत कुछ कहती है
शांत शीतल जल तो कभी दरिया बन के बहती है
कभी चीखती चिल्लाती कभी चुप सन्नाटे सी रहती है
दबाकर जाने क्या कुछ बाजवा क्या कुछ ये सहती है-
ब्यान तो नहीं कर सकता पर मिलता बेहद सूकून है
जन्... read more
चल तो पड़े थे इश्क़ की राह पर
और सब सितम भी मंज़ूर थे
जैसे जैसे बढ़े हम उनकी तरफ़
वो होते चले गए हमसे दूर थे-
कबीरा क्यूँ खड़ा बाजार में
काहे देखत सबके ढंग
जा के अपना काम करे
यहाँ सब के सब मलंग-
मै रहूँ या ना रहूँ पर
याद ज़रूर आऊँगा
अच्छा या बुरा ख़्याल बन कर
आबाद सदा के लिए हो जाऊँगा-
हँसते मुस्कुराते वो अलविदा कह गए
फ़ांसले बस दरमियाँ हमारे रह गए
ज़रा ना शिकन उनके चहरे पर हरमन
हम पत्थर बन जैसे चट्टानों से ढह गए-
फांसलों को दूरियों के तुम पाठ ना पढ़ाओ
दास्ताँ मुकम्मल करनी है तो साथ चले आओ-
ਖੇਡ ਰਚਾਈ ਉਸ ਮਾਲਕ ਦੀ
ਤੇਰੇ ਹਿੱਸੇ ਹਰਮਨ ਕੁੱਜ ਕੂ ਦਾਣੇ
ਮਾਣ ਲੈ ਮੌਜਾਂ ਉੱਡ ਲੈ ਅੰਬਰੀ
ਇਹ ਦਾਣੇ ਛੇਤੀ ਹੀ ਨੇ ਮੁੱਕ ਜਾਣੇ-
बाज़ी इश्क़ की है सब कुछ दाँव पर लगा दे
बाजवा तुझे डर कैसा
गर वो ना मिला जिसके लिए जद्दोजहद तमाम
तो फ़िर बता तेरा घर कैसा-
ज़ख्म भी बेशुमार है
दर्द भी मेरी जान हज़ार है
तुझको मुझको जुदा कर दे
ऐसा वार ना ही कोई हथियार है-