की अब खुद को तराश रहा हु तब पता चला
ना सफर में हु ना मंजिल पे खड़ा
के अब में मुसाफ़र ना रहा-
Harmak
(Harshil)
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की थोड़ा कुछ लिख लेता हू खुद के लिए
कभी कभी कुछ सुना भी जाता हू
शेर, शायरी या कविता ये तो ... read more
कभी कभी कुछ सुना भी जाता हू
शेर, शायरी या कविता ये तो ... read more
Joined 9 June 2018
29 NOV 2024 AT 11:58
22 AUG 2024 AT 12:42
की अब खुद को देख रहा हु तब पता चला
ना सफर में हु ना मंजिल पर खड़ा
तभी
ढूंढ रहा हु वही किरदार जिसने ख़्वाब देखा-
11 FEB 2022 AT 7:44
it seems to be, those failure night are always being longer and the success night always being a shorter.
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13 DEC 2020 AT 11:41
મળતાં જ અંજાઈ જતી આંખો ને, પાછળ થી રડવું પડે છે
પોતાના જ આંસુ વડે નહાવું પડે છે-
7 DEC 2020 AT 10:06
શબ્દોથી સંહાર ના કર,
તું રાઈ નો પહાડ ના કર,
અભિમન્યુ જેમ ચક્રવ્યૂહમાં પ્રયાણ ના કર.
શબ્દોથી સંહાર ના કર,
શબ્દો ના બદલાવના આ ખેલ ના કર,
શબ્દો ના શસ્ત્રોથી લોહીલુહાણ ના કર.-
31 JUL 2020 AT 23:06
हे राही
कि क्यू हर-बार रास्ते अलग होते हे
थोड़ा साथ चल फिर क्यू अलग होते हे
मंजिल पास होके भी बहुत दूर लगती हे
बच्चों वाली बातभी अब बहुत बड़ी लगती हे-