हैं एक ही मांँ के जाये दो
एक दूजे को भाये वो
कभी उदास हो जब भाई
आंँख में आंँसू लाये वो
बहना जब मुस्काती देखे
ख़ुशी से झूम जाये वो
एक रक्षा का बचन निभाये
एक दे रोज़ दुआएंँ सौ
कुछ यूंँ भाई बहन का रिश्ता
जैसे एक तन साये दो
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D O B. 1july
मुझे पढ़ें फिर Fallow करें , और बदले मे अपेक्षा भी न... read more
ख़ुद को ज़ेर-ओ-ज़बर कर क्या पाओगे
तमन्नाओं को बे-असर कर क्या पाओगे
देखो हमें जी भर जबां होने दो हसरतें
यूंँ नज़र इधर- उधर कर क्या पाओगे
एक साथी की जरूरत हर एक को रही
अकेले -अकेले सफ़र कर क्या पाओगे
चार दिन की ज़िन्दगी जवानी एक दिन
और उसपे इतना सबर कर क्या पाओगे
कल किसने देखा कल आया न कल
'आनंद'मरने से पहले मरकर क्या पाओगे-
तन्हाई डसती है अब
परछाई हंसती है अब
तुम जो नहीं तो ये दुनिया
पराई लगती है अब
बिंदी, कंगन, पायल, चूड़ी
कुम्हलाई लगती है अब
बे-ख़ौफ़ थे कभी अरमां
अंगड़ाई चुभती है अब
'आनंद' आ जाओ नहीं तो
मौत आई लगती है अब-
एक तेरी कमी खलती रही
सांँसें रुक -रुक कर चलती रही
थे जानते हम न आओगे तुम
इक उम्मीद ही थी जो पलती रही
उस चौराहे पर खड़े आज़ भी
जहांँ बच कर मौत निकलती रही
और होगा क्या स्याह नसीब
मिरी सब भीगी रातें जलती रही
ऐ -बिछड़ के जाने वाले सुन
तू बता कि किस की ग़लती रही
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मोह और प्रेम में बस थोड़ा ही फर्क
एक में थोड़ा स्वार्थ है, एक बिना ही शर्त
प्रेम प्रक्रिया की होती मोह शुरुआत
बाद नष्ट मोह, और बचे प्रेम घना ही अर्क
जिद,जुनू,उतावलापन भाव न बे-अर्थ
जो तरक्की के मानिए शुरू इनसे ही अर्थ
जो प्रेम है हवन तो मोह सामग्री जान
सकारात्मक गर नहीं तो हर भाव ही व्यर्थ
मोह प्रेम के नजरिए अपने 2 'आनंद'
हो आपका कुछ और पर मेरा ये ही तर्क
-Teacher H.Anand
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सोचो जानो तोलो फिर
वही शब्द ही बोलो फिर
बात बने दो बातों से तो
नाहक मुंँह न खोलो फिर
ख़ुद में यूंँ गहराई रखो
मन ही चाहा डोलो फिर
रहे तहखानों में धन दौलत
यूँ अपनी कीमत बो लो फिर
पहचान बनानी जो'आनंद'
तो दिल से गहरे हो लो फिर
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बड़ा नाज़ुक है दिल दुखाइए नहीं
निरीह और मजलूमों को सताइए नहीं
आह जब निकली गई है दूर तक
सब उसी की संतान हैं बिसराइए नहीं
प्रताड़ना नहीं है समस्या का हल
और भी रास्ते बहुत हैं पछताइए नहीं
जियो जीने दो का फ़लसफ़ा जान
बन इंसानियत के दुश्मन इतराइए नहीं
कर नारी को प्रताड़ित खुश है क्यूंँ
'आनंद' पैदा हो इसी से भूल जाइए नहीं
-Teacher H.Anand
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हर रिश्ते से बड़ा देखा है
मुश्किल में साथ खड़ा देखा है
मायूस कभी मैं हो जाऊंँ
कोई खोलके पोल हंँसा देता है
भाई पिता की झलक लिए
दुनिया इक हसीं दिखा देता है
मेरा दोस्त मेरी दुनिया है
इतना ना साथ सगा देता है
कह के मैं हूंँ ना 'आनंद'
अपनी जान लड़ा देता है-