किसे समझाएं
अपने दिल के राज,
दिल के राज तो दिल
में ही दफन करना है...-
मेरे अपने विचार....
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लहरें तो समुद्र में भी आती हैं। वे नहीं आयें ऐसा हो नहीं सकता। ऐसे ही संसार में सब होता रहता है। बस, अपनी पकड़ नहीं रखनी चाहिए। जो मिला है वो छूट जायेगा और जो मिलेगा वह भी छूट जायेगा। जैसे- बचपन चला गया, यौवन चला गया, बुढ़ापा भी आकर चला जायेगा..सब छूट रहा है यह स्मरण रखो। #Bapuji
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जो अपने को कोसता है कि ‘मैं गरीब हूँ, मेरा कोई नहीं है, मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ…..’ ऐसा व्यक्ति विकास में पीछे रह जाता है। अनंतशक्ति-नायक अंतरात्मा-परमात्मा तुम्हारे साथ है। उसको पुकारे, प्रयत्न करे तो व्यक्ति महान बन जाता है। पूर्वकाल में साधारण, हारे थके विद्यार्थियों ने भी पुरुषार्थ करके बड़ी ऊँची सफलताएँ प्राप्त कीं। साधारण में से महान बनने वालों की बातें बतायी जायें तो असख्य पन्ने भर जायेंगे।
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जो सब कुछ जानता है वही सत्यस्वरूप है, वही अपना-आपा है। क्रोध आया तो किसको आया ? इसके साक्षी बनो। कोई भी काम करते हो - जॉब आदि तो कौन करता है ? इसके साक्षी बनो। ईश्वर ही सार है, बाक़ी सब असार है। अपने आत्मा में सुख पाओ फिर कितनी भी समस्याएँ आयेंगी, सब पसार हो जायेंगी।
#Bapuji-
ने अमरीका के शिकागो में 11
सितंबर 1893 को आयोजित विश्व धर्म परिषद में जो भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी।
🚩हिन्दू संस्कृति का परचम लहराने वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट (विश्व धर्मपरिषद) शिकागो में भारत का नेतृत्व 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानंदजी ने और ठीक उसके 100 साल बाद 4 सितम्बर 1993 में हिंदू संत आशारामजी बापू ने किया था ।-
My 2 years teaching experience...
शिक्षक की उम्र कभी नहीं बढ़ती।
वह बच्चों के बीच रहने की वजह से बच्चा ही बना रहता है।-
मैं तो हूं,
ये कैसे पता करूं?
तू ही बता दे,
तेरे बिछड़ने के दर्द को,
कैसे सह लूं...
क्या पता
दिल को कह दूं,
न..........-