इतनी मशहूर हो जिन्दगी
तो भी किस काम की,
जो मजबूर हो
तो पता भी ना चले।।-
Loves to write in both English and Hind... read more
अभिनय किया ऐसे
की कोई अभिनय नहीं
जीवन चल रहा था,
वो इतना यथार्थ था
कि उसके हर प्रदर्शन में
जीवन पृष्ठ बदल रहा था।
वो जो था
पर्दे के पीछे नहीं
पर्दे पे सवार था
एक साया जिसको
सबने अपना मान लिया था
जिसपे सबको प्यार था।
किसने सोचा था
वो दिन इतनी जल्दी आएगा
जब वो साया थम जाएगा
आज वो मनहूस दिन था,
जब वो साया डट गया
हाये वो पर्दा फट गया
हाये वो पर्दा फट गया।।-
करो जतन कुछ पल के
जो सुकून से गुजार सके,
ये देश है जंग का मैदान नहीं
जहां कभी तुम हमें तो कभी हम तुम्हें मार सके ।
आसान है खीर में ज़हर मिलना
बिना ज़हर की खीर खिलाओ तो जान सके,
इस नव युवा पीढ़ी को झलक तो दो उस समाज की
जहां तुम हमे बंधु और हम तुम्हें सखा मान सके ।
कब तक ये आधे अधूरे जतन
अवश्यंभावी अनहोनी को टाल सके,
जागो उठो और लग जाओ वो नींव बनाने में
जो धराशाही होते हमारे भारत को संभाल सके।।-
ज़ख्म सिलते नहीं वक़्त के मरहम से
वो बात अलग है हमारी भूलने की आदत हैं।
दफन तो हम भी कर देते गुनाहों को झूठ के ताबूत में
वो बात अलग है हमारी कबूलने की आदत हैं।
- Abhivyakti-
बस बात इतनी सी है कि
आज कुछ पंक्तियाँ मिल गयी हैं
कुछ हफ़्तों की मेरी खामोशी की
आज बर्फ पिघल गयी है
अब ये बहेगी इक सैलाब की भाँती,
खबर लगी की आज इसके तो कल उसके
कमजोर पद चिन्हों को निग़ल गयी है।।
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क्या फूल भेजते हो, मुझे अर्पित करने को
क्या सुनी थी मेरी चींखें, जब थी मरने को
मेरी नहीं, अश्मिता इस देश की लुटी है
पर क्या करूँ, आती नहीं सोच सुधरने को।।-
मन अशांत व्याकुल बड़ा
परेशान नगण्य बात में,
अक्षि कपाट धीर न धरे
खुल जाए मध्य रात में।।
गुमराह गुमान करे ऐसा
पीड़ा हो छुरी के आघात में,
तू मानव मैं मानव
क्या रखा है जात में।।
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क्या हिसाब लगाता, मैं तेरे मेरे लम्हों का।
जब नीलाम हो रही थी, पूरी दुनिया मेरी।
कुछ तो बचा लू, सोच दिल मे दफना दिया इनको
जब मुरझा चुकी थी, अरमानो की कलियां मेरी।।
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देर हो जाती है अक्सर
गलती का एहसास होने में,
दूर होना तो दो पल का काम हैं
वही सालो लग जाते है किसी के पास होने में।।-
किसके साथ गुजारे शाम
सबको रात की तैयारी करनी हैं
दिन का हिसाब लगाके लोगो को
सूरज की सवारी करनी है।।
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