Harapriya Mohanta   (Harapriya(मिनि_की_नज़्म))
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Just trying to heal myself by expressing my feelings.
Joined 7 April 2020


Just trying to heal myself by expressing my feelings.
Joined 7 April 2020
13 JUN 2022 AT 1:11

घाओ भरे नहीं थे
चोट दुबार लग गई
रिश्तों की गांठ सुलझे नहीं थे
गलतफहमी दुबारा हो गई ।

बंधन नए नहीं थे
फिर क्यों उलझ गई ?
रिश्तों की डोर क्या कमजोर थे !
फिर से क्यों टूट गई ?

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10 APR 2022 AT 20:57

छलक जाता है
ये कमजोर आंखें मेरी बहुत जल्दी
भावनाएँ मेरी काबू में नहीं रहता...

अवास्तविक अपेक्षाएं
करता है दिल मेरा बहुत दूसरों से
ख़ुद की सपने अबतक पूरा नहीं कर पाता...

दिल का दर्द बँटना
बहुत चाहता है मन मेरा
सुनकर समझ सके कोई ऐसा कोई नहीं मिलता...

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10 APR 2022 AT 1:56


माना तुम्हारे जिंदगी में भी है स्यापे
कृपया तुम्हारा गम हमारी दर्द के साथ ना नापे...🙏😂

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10 APR 2022 AT 1:22

हुआ था क्या गलती मुझसे
ये सवाल मेरे मन में कब से था
हुआ जब हुबहू वही किस्सा फिर से
माना उन गलतियों में मेरा भी हिस्सा था...

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1 FEB 2022 AT 10:32

दुबारा मिलके दुबारा यूं बिझड़ जाना
प्यार के मौसम में तुम्हारा यूं नाराज रहना
बात बात पर गुस्सा फिर मनाना
तुम्हे मैं कैसे बताऊं
मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे साथ रहना...

अब खतम करो ये तकरार का मौसम
सुरु हो रहा है आज से प्यार का मौसम
अब छोड़ो मान भी जाओ मेरे सनम
सालों बाद आया है इजहार का मौसम
उमर बीत जाए बस तुम्हारे साथ सनम….❤️

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1 FEB 2022 AT 9:14

बातें कम और झगड़े ज्यादा होती हैं
अब वो आदत बन गया है उसे छोड़ भी ना पाऊं...
रूठ कर अब उससे बातें नहीं होती हैं
अब वो मुझ पर जादू कर दिया है उसे छोड़ कर रह भी ना पाऊं...
इतना गुस्सा है कि मैसेज का रिप्लाइ बस hmmm ohhh sorry में देता है
अब वो मुझे सता रहा है या मैं उसे, ये बात में समझ भी ना पाऊं...
Busy हूं काम कर रहा हूं बस यही जवाब देता है
अब वो मुझे सोच बोल रहा है या कोई और बात है , ये बात में समझ भी ना पाऊं...

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11 JUN 2020 AT 10:04

लोगों का क्या है
वो तो कहते रहेगें।
हर मोड़ पर
ताना मारते रहेगें ।
लोग ख़ुद कमज़ोर होते है
इसीलिए शोर करते है ।
गौर ना कर उन बातों पर
सुन कर अनसुना कर।
ऊर्जस्वी है तू, वो खोकले है
उनके खामियां को बस ढांकते है।

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15 MAY 2020 AT 13:06

नियति ने मुझे निशब्द कर दिया
हालातों ने हयात से रौनक छीन लिया..

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27 APR 2020 AT 8:53

ସକାଳୁ ସକାଳୁ ନଦୀ କୂଳରେ ମୁଁ ବସିଛି
ନିଜକୁ ଖୋଜିବା ପାଇଁ ନିଜ ସହ ସମୟ ବିତାଉଛି।
ପାଣି କୁ ଅନାଇ ନିଜକୁ ପ୍ରଶ୍ନ ମୁଁ କରି ଚାଲିଛି
ଜୀବନର ଅଧା ସମୟ ବିତି ବାକୁ ବସିଲାଣି
କ'ଣ ମୁଁ ହରେଇଛି କ'ଣ ମୁଁ ପାଇଛି।
ଜୀବନର ପୁରୁଣା ପୃଷ୍ଠା କୁ ଖୋଲି ମୁଁ ଦେଖିଲି
ଅଧା ରୁ ଅଧିକ ସମୟ ମୁଁ ମୁଲ୍ଯହୀନ କାମରେ ଵିତାଇଛି।
ନୀରବତା ର କଳା ଵାଦଲ ଛାଇ ଯାଇଛି
ସ୍ଵପ୍ନ ସବୁ ଅସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇ ପଡିଛି।

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13 JAN 2022 AT 10:03

हालात, इंसान
सब वक्त के सात बदल जाते है
पर इंसान की कुछ आदतें
कभी नहीं बदलती...

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