Haq Se Likho   (Dt Mayuari | हक़ से लिखो)
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Joined 23 July 2018


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19 MAY AT 23:55

दिखांवेे की दुनिया का बस इतना सा फ़साना है,
लोग यहां इन्सान का हुनर नहीं चीजें देखते हैं।

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9 MAY AT 1:55

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4 MAY AT 23:28


बिना बताए किसी को कैसे ये बात कहूं,
जो दिल में चुभ रहा है कैसे इस राज को साहू,
छिपाकर भी कोई फायदा नहीं इस दर्द को किसी से,
पर सुनने का वक्त नहीं तुम्हारे पास शिकवा क्या करूं।

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23 MAR AT 21:53

उसका यूं ही अजनबी होना,
मुझे यूं ही दूर से देखकर मुस्कुराना,
सब जानकर यूं अनजान बने रहना,
एक दिन धोखा देकर चलें जाना,
इससे बेहतर तो था।
तेरा नाम तक मुझे याद न होना,
तेरा ज़िक्र का मेरे पास न होना,
तेरे झूठ को सच न मानना,
इससे बेहतर तो था तेरे अक्श को न जानना।

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19 MAR AT 1:16

न सहजता रहीं, न सरलता
न रहा वो विश्वास
न सहजता रहीं, न सरलता
न रहा वो विश्वास
तुममें न तुम रहें, न तुम्हारे
वापस लौटने की आस।

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18 MAR AT 23:36

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12 MAR AT 0:55

मैंने ये महसूस किया है कि तुम कितने उलझे हों,
बच्चों की जिंदगी बनाने में खुद को भूल गए हो,
बचपन में जिन चीजों को सीने से लगा कर रखते थे,
उन चीजों का तुम्हें अब होश कहां परिवार की बिखरी हुई जरूरतों में,
जो धूप नापसन्द थी कभी अब उसी में पसीना बहाते हों, कहते हो सब बढ़िया है पर असलियत दिल में छुपाते हों, तुम्हारे है रूप कई बेटा,भाई,पति, पिता बन पूरी जिंदगी अपनी बिताते हों क्या याद है तुम्हें वो एक
पल जब दिल से बचपन की याद जीकर मुस्कुराए हों।

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11 MAR AT 23:59

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11 MAR AT 23:46

बात उठी तो हर बात पर रोना आया,
भूले हुए अपने हर हालत पर रोना आया,
हम तो सोचें थे भूल गए हम उनकी बेवफाई को,
उसका नाम आया तो न जाने किस बात पर रोना आया।
कोई नहीं रोता यहां दूसरों के ग़म पर,
बातों में जब बात चली तो हर बात पर रोना आया,
जिन जख्मों को भूलकर आगे बढ़े थे,
उन जख्मों की हर याद पर रोना आया।।

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23 SEP 2024 AT 1:32

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