याद बाबू कि आती है
जब मन भारी होता मेरा
घर में नहीं जी लगता
जब हृदय कांपता मेरा
झूठे जग में कौन कहता
नसीब अच्छा है मेरा
किसे बताऊं अपना मान घटाऊ
जन्म से पहले दादी मर ली
और बचपन में रे दादा
बाबू मेरा जबान गुजरगा
न व्याह देखगा मेरा
मेहनत जीवन में बहुत करी
मगर हाथ लगा न धेला
कदे काई के काम कू ना नाटा
फिर भी काम चोर कहलाया
मन करके मैंने खूब राम मनाया
पर आज पथ पर खड़ा अकेला
अब रोता है हृदय मेरा
र बहमाता क्या तू के भाग्य लिख गई मेरा-
Advocate at district & session court
Pardhan & Sarpanch
Ex ... read more
आप के व्यंग्यात्मक
लहजे पर हंसूं
या दुख व्यक्त करूं
यह दुविधा है मेरी
मन खिन्न हो जाता है
जब ऐसे निबंध पर सोचा जाता हूं-
आज नहीं तो कल होगा
एक दिन ऐसा पल होगा
जब हमारा भी चैम्बर होगा
कचहरी में कोई पद भी हमारे नाम होगा
-
धन सत्ता के मद में बिक जाने वालों के लिए
मैं क्या लिखूं
दुर्घटना लिखूं आपात लिखूं
गुस्सा लिखूं नाराजगी लिखूं,
चिंतित लिखूं, बेचैनी लिखूं, व्याकुलता लिखूं
भय लिखूं
बुरा लिखूं,खंडित लिखूं, बेदर्द लिखूं
बेढंगा लिखूं ,गिरावट लिखूं,
भ्रष्टता लिखूं, बेईमानी लिखूं ,अपराधी लिखूं,
क्षति लिखूं
कायरता लिखूं ,पीड़ा लिखूं
कपटी लिखूं ,संकट लिखूं
भयानक लिखूं ,सुनसान लिखूं
असफलताएं लिखूं
निर्बल लिखूं,कमजोर लिखूं, मतभेद लिखूं
लालच लिखूं ,लोभ लिखूं
विकट लिखूं,कठोर लिखूं
विकराल लिखूं
अनदेखा लिखूं ,उपेक्षा लिखूं ,असंभव लिखूं
तुच्छ लिखूं,नीच लिखूं
निरर्थक लिखूं,ख़ारिज लिखूं-
प्राधिकरण अगर
तुम बेचते नहीं ईमान अपना
तो हम बेचारे नहीं होते
तुम सिर्फ हमारे होते
तो हम हारे ना होते
अगर रखते ध्यान तुम
तो हम सड़कों पर आए ना होते
होती मध्यस्था हमारे बीच
तो बेबस हो पुलिस के डंडे खाऐ ना होते
अभी समय है मान जाओ
अपने ईमान को फिर जगाओ
और एक साथ नारा लगाओ
जय जवान जय किसान 🚜🌾-
साथियों मोदी जी का हथकंडा अपना लो
मेरा आप सभी से निवेदन है कि
आप सभी अपने अपने घरों से
थाली , चमचा, घंटि- घंटा,शंख, आदि
प्राधिकरण पर लेकर आई
हर घंटे 5 मिनट के लिए
सभी एक साथ अपने अपने यंत्र बजाकर
प्राधिकरण को जगाएंगे-
किसान और प्राधिकरण
हम नायाव किस्म के पत्थर
तेरे दामन में दाग़ हजारों है
हम खूबसूरती कि पहेली
तेरे नाम में ही काला है
हम चम्पा चमेली से महके
तू गंदी किचड़ का नाला है
हम नेकी के दीवाने
तेरे मन में छल कपट और माया है
हम वीर रस के उदाहरण
तूझमे कायरता का आलम है
हमने मेहनत का कमाया
तूने किसानों को लूट खाया है-
प्राकृतिक के प्रकोप से फिर खड़ा हो जाता है
भारी बारिश के रंग भी झेल जाता है
सूखा पड़े तो सब्र के घुट पी जाता है
द्वार पर आए को खूब भोजन कर आता है
चाहे स्वयं खाली पेट रह जाता है
बच्चों को ना पढ़ा पाता है
तभी तो
प्राधिकरण इसको आंख दिखाता है
लाठी-डंडे प्राधिकरण चलाता है
पुलिस प्रशासन को आगे कर अपनी क्रूरता दर्शाता है
सर्वोच्च न्यायालय भारत देश का
यह चीक चीक कर कहता है
यह जिला गौतम बुध नगर घूसखोरी का अड्डा है
यहां के विधायक सांसद किसानों के लिए पल्लू में दुबक जाते हैं
और अपने आपको किसान का बेटा बताते हैं
न्याय नहीं अन्याय की बातें
यहां के अधिकारी कर जाते हैं
लाठी-डंडे की चोट से
किसान को शांत कराते है-
जब हम आपके पास आते हैं(ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण)
तो आप हमें अंदर भी नहीं आने देते
हम पर लाठी-डंडे बरसाते हैं
आप भी यह कान खोल कर सुन ले
जब भी आपका हमारे यहां आना होगा (हमारे गांव में)
हम भी आपको नहीं आने देंगे
आप के साथ उसी प्रकार का व्यवहार करेंगे
जैसे आपने हमारे साथ कर रहे हो-
एक कहावत
लोग कहते हैं कि
तुम जिस स्कूल में पढ़ते हो
उस स्कूल के हम प्रिंसिपल रहे हुए हैं
तो साहब,
आप भी यह ना भूले
जिस अनाज को खाकर आप इतना दिमाग चलाते हो
उस नाज को हमने ही उगाया है-