याद आ रहा है।
उसका रोज कॉल करना, कॉल पर दिन भर की बाते करना।
छोटी–छोटी चीजों को बताना, अपनी तारीफों को छुपाना, याद आ रहा है।
उसका वो पहली दफा मुस्कुराना, माथे पर बिंदी लगा कर शर्माना।
बात–बात पर उसका इतराना, वो बच्चों जैसी हरकते दिखाना, याद आ रहा है।
उसका उस लाल गुड्डे से खेलना, उस गुड्डे से मुझे चिढ़ाना।
वीडियो कॉल पर पागलपंती करना, कॉल पर उसका सो जाना, याद आ रहा है।
कुछ दिनों में हि उसको जान लेना, बात–बात पर ‘हट–बक्क्क’ करना।
गुस्सा होने पर मुंह फूला लेना, फिर उसका वो मान जाना, याद आ रहा है।
उसका घर से प्यार करना, उनके लिए सब कुछ भूल जाना।
मेरा उसको चाहना, उसका मुझे भुलाना, याद आ रहा है।
पहले दिन से साथ रहना, ज़िंदगी भर का साथ का वादा करना, याद आ रहा है।
याद आ रहा है......-
Ankahe alfaaz
Dil ki baato ko yaha likhta hu
Use my hash ta... read more
वो रूठी है मुझसे, कोई कोशिश करे समझाने की।
बिना बात के मुलाकात नहीं होती, उसे ये बताने की।
मैं लाख बार उसे मनाऊंगा, कोई तरकीब बता उसे मनाने की।
मुझे पसंद है मुस्कान उसकी, कोई कीमत पूंछे उसके मुस्कुराने की।।।
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देख कर उनको लगा मानो बात बन जाएगी।
मिल कर उनसे लगा मानो मेरी हो जाएगी।।
कुछ न कहा उनको किसी और का होता देख।
सोचा छोड़ो यार जाने दो बात बढ़ जाएगी।।।-
अच्छा ये बताओ, मेरे साथ चाय पर चलोगी क्या,
अपनी पुरानी बातो को मुझसे शेयर करोगी क्या। सुनूंगा तुम्हारी हर बात ध्यान से, आंखों में आंखें डाल कर मुझसे बात करोगी क्या।
बैठे होंगे जब सामने हम एक दूसरे के, अपने लंबे काले बालों को मेरे सामने सजोगी क्या।
इक रात होंगे जब दोनो किसी रहा पर अकेले, उस रात मेरा हांथ थमोगी क्या।
अच्छा ये बताओ मेरे साथ चाय पर चलोगी क्या।
माना होंगे कई खास तेरे मुझसे भी, फिर भी तुम मेरी खास बनोगी क्या।।
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सुना है हम उन्हें बहुत याद आते हैं, जिसे हम भूल जाते हैं।
हम अक़सर उसकी यादों में खो जाते हैं, जिसे हम याद आते हैं।।।-
चलो आज कुछ बात की जाए, उसकी यादों में रात की जाए।
होती हैं बातें कम जिस से, उसकी झुल्फो में शाम की जाए।
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अच्छा ये बताओ, मेरे साथ चाय पर चलोगी क्या,
अपनी पुरानी बातो को मुझसे शेयर करोगी क्या। सुनूंगा तुम्हारी हर बात ध्यान से, आंखों में आंखें डाल कर मुझसे बात करोगी क्या।
बैठे होंगे जब सामने हम एक दूसरे के, अपने लंबे काले बालों को मेरे सामने सजोगी क्या।
इक रात होंगे जब दोनो किसी रहा पर अकेले, उस रात मेरा हांथ थमोगी क्या।
अच्छा ये बताओ मेरे साथ चाय पर चलोगी क्या।
माना होंगे कई खास तेरे मुझसे भी, फिर भी तुम मेरी खास बनोगी क्या।
नहीं छुपे एक दूसरे से गम और बात कोई भी, ऐसे रिश्ते की इक मिसाल बनोगी क्या।
नहीं होने दूंगा कभी परेशान किसी बात से तुम्हे, तुम्हे खुश रखने का ये काम मुझे दोगी क्या।
वादे तो नहीं करूंगा चांद ऑ तारे तोड़ने के, पर जो निभा सकूं ऐसे वादे करने का मौका दोगी क्या।
देखे जब कोई साथ हमें, "अरे ये अभी भी साथ हैं" ऐसा कहने का मौका किसी को दोगी क्या।
अच्छा ये बताओ मेरे साथ चाय पर चलोगी क्या।।
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उसका मुझसे वो बातें करना, उसकी बातों में मेरा खो जाना।
फिर उसका वो मुस्कुराना कितना याद आता है।
सारे दिन फोन पर बातें करना, अपने दिन की हर छोटी बात मुझे बताना।
बात बता कर उसका मुस्कुराना कितना याद आता है।
कभी कभी मुझसे उसका लड़ना, छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करना।
फिर गुस्सा कर के माफी मांगना कितना याद आता है।
दूसरे शहर से उसका वापिस आना, अपने शहर में रह कर मुझसे न मिलना।
न मिलने की मजबूरी बताना कितना याद आता है।।।-
मुझे अपना बनाय रखना, अपनी यादों में बसाए रखना।
हो चाहे गम कोई भी, मुझे हर गम बताए रखना।
गर हूं कहीं अकेला रातों में, आकर पास सीने से लगाए रखना।
यूं तो नहीं कोई पास मेरे, तुम मुझे अपना बनाय रखना।
नहीं छोडूंगा कभी हाथ तेरा, तुम मेरा हाथ थामे रखना।-
तुमने वादा किया था,
किसी रोज सुबह जल्दी आने का, शाम को देरी से जाने का।
सर्दी की धूप में साथ बैठकर, गरम-गरम चाय पिलाने का।
अपनी जुल्फें खोलकर, अपने हाथों से संवारने का।
अपने पिछले किस्से सुना के, पहले जैसे मुस्कराने का।
तुमने वादा किया था.....।-