एे सुकून
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Hanu Bhardwaj
(Hanu✍️)
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Always Alive
Joined 28 May 2018
2 AUG 2021 AT 23:39
जो ख़ुशियाँ लेकर आती है तो है मुझ तक
फ़िर अचानक
रात अंधेरे में मजबूरियों के समुंदर में समा जाती है-
2 AUG 2021 AT 23:27
साथ थीं ज़ो तेरे वो बात अब मेरी हंस ही में नही
कहते हो भूल जाओ
अब कैसे समजाऊ मेरे बस ही में नही
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18 JUL 2021 AT 23:40
मीठा दरिया सा था मैं नमक़ीन मुझे भाता ना था
डूबना पसंद था उसे और मुझे डुबाना आता ना था-
6 JUN 2021 AT 6:19
हैरानी यह है कि इक दिन ज़िंदगी में कोई कैसे चला आता हैं
कि अचानक याद नहीं रहता कि उसके बिना कैसे रहा जाता हैं-
18 MAY 2021 AT 1:43
शिकायत अपनो से किया करते है
इधर नही तो उधर सही तितलियाँ होती ही ऐसी
क़ुदरत ही है सब अब इससे शिकायत कैसी-
18 MAY 2021 AT 1:26
शोर था वहा पहुँच पाया ना तुझ तक वो आवाज़ हूँ मैं
दूर से मेरा अपना नज़रंदाज़ करता रहा तभी तो नाराज़ हूँ मैं
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