Hans Priya   (हंस प्रिय)
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Bsc 2year churu lohiya college (bio)
Joined 5 November 2019


Bsc 2year churu lohiya college (bio)
Joined 5 November 2019
6 FEB 2022 AT 7:43

बसंत आया है पतझड़ की गुहार के बाद
ये फूल याद आयेंगे मौसम-ए-बहार के बाद

ये हवाएं रूठ के बैठी थी गहरी वादियों में
यह चलने लगेगी फाल्गुन की पुकार के बाद

चांद को बड़ा गुरूर था अपनी खूबसूरती पर
यह भी शरमा गया सरसों के श्रृंगार के बाद

क्या पाओगे जुगनूओं से मोहब्बत करके
रोशनी तो आएगी अंधेरों पर वार के बाद
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15 AUG 2021 AT 7:55

यहां हर शख्स की शान तिरंगा है,
हिन्द-ए-वतन की पहचान तिरंगा है।।


(HAPPY INDEPENDENCE DAY)

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27 JUL 2021 AT 13:53

आसमां में चांद निकला तो तारों ने नुमाइश छोड़ दी
समंदर में पानी क्या सूखा शफरी ने रिहाईश छोड़ दी

ज़रा सा ख़ामोश क्या हुआ ज़माने का ज़मीर देखकर
लोग सोच रहे हैं कि मैंने जीने की ख्वाहिश छोड़ दी


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15 JUL 2021 AT 21:16

सोचता हूं दिल के कुछ राज लिखूं
अपनी क़लम से नए आगाज़ लिखूं

औरों के जैसे ही बहते हैं मेरे आंसू
क्या अब मैं रोने की नई राग लिखूं

ख़ूब कर दी तारीफ अंधेरी रातों की
अब तो कोई चमकता चराग़ लिखूं

मेरा जमीर कहता है कि मैं सच कहूं
फिर उजड़े चमन को कैसे बाग लिखूं

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14 APR 2021 AT 21:33

सरकार मदारी और छात्र बंदरिया है
ये दुनिया देखने का मेरा नजरिया है



क्योंकि परीक्षा स्थगित और छात्र
खुश हो रहे हैं

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4 APR 2021 AT 18:08

तेरी तो हर मुस्कान मुझे रूमानी लगती है
तू ख्वाबों में आए तो खूब नूरानी लगती है

कई बार गुज़रा हूं तेरी जुल्फों की घटा से
तेरे बदन की खुशबू बड़ी सुहानी लगती है

मैंने अपने दिल की किताब में पढ़ा है तुझे
तू मेरे इश्क को समेटती कहानी लगती है

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31 MAR 2021 AT 17:10

आशिकी छोड़ दी है तुने कमाल है 'हंस'
पर ये आंखों में क्या लाल-लाल है 'हंस'

एक याद आज भी है उसकी दिल में
बता तो ज़रा वो कितनी ज़माल है 'हंस'

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23 MAR 2021 AT 9:21

सिर्फ कागजों में ही नहीं सड़कों पर इंकलाब चाहिए
सत्ता की गंदगी हटाने को नदियां नहीं सैलाब चाहिए

बहुत हुआ सत्ता के गलियारों में ये खेल गद्दारी का
मेरे यार अब तो होना इन गद्दारों का हिसाब चाहिए

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21 MAR 2021 AT 16:02

अब मैं अपनी मायूसी की कहानी नहीं लिखता
और जो बीत गई है वो जवानी नहीं लिखता

लंबी जुदाई के बाद आई है इन लबों पे हंसी
मेरे यार अब मैं आंखों का पानी नहीं लिखता

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12 MAR 2021 AT 11:15

दुआएं रोज मांगता हूं तुझे भूल जाने की
मगर एक चाहत आज भी है तुझे पाने की

कई फायदे बताये है चराग को फानूस के
मेरे यार ये शमा कहां सुनती है परवाने की

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