हम लबे दरिया रहे, और कश्तियां आती रहीं,
घर नहीं था फिर भी हमको चिट्ठियां आती रहीं।-
Isi se Rajdhani chal rahi hai.
Hamza Bilal
Urdu Poetry
हालते वस्ल में, कब शेर हुआ करते हैं,
तुम मुझे छोड़ के जाओ तो कोई शेर कहूं।-
تصویریں بولتی ہیں،
جب بھی ہم پاس آتے ہیں،
جب بھی ہم مسکراتے ہیں،
آنکھیں نم بھی ہوتی ہیں،
جب بھی ہم دور جاتے ہیں،
یہ سب کچھ تولتی ہیں،
ہاں! تصویریں بولتی ہیں۔
- حمزہ بلال "ساحل"
तस्वीरें बोलती हैं,
जब भी हम पास आते हैं,
जब भी हम मुस्कुराते हैं,
आंखें नम भी होती है,
जब भी हम दूर जाते हैं,
ये सब कुछ तोलती हैं,
हां! तस्वीरें बोलती हैं।-
वो अपना तर्ज़-ए-जफ़ा छोड़ दे अगर हम्ज़ा,
वफ़ा की क़ैद से हम भी..... फ़रार हो जाएं।-
कितना रंगीन गुनाहों का जहां है लेकिन,
इसका हर रंग शराबों की तरह होता है।-
यार मेरा बड़ा मुनाफिक था,
ईद के दिन जुदा हुआ मुझसे।
یار میرا۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔ بڑا منافق تھا،
عید کے دِن جُدا ہوا مجھ سے۔-
दिल तो मिलता है, आपसे लेकिन,
क्या करें वक़्त ....ही नहीं मिलता।
دل تو ملتا ہے آپ سے جاناں،
کیا کریں وقت ہی نہیں ملتا۔-
इश्क़ छोड़ा है۔۔۔۔۔अधूरा हमने,
आख़िरी हिस्से में रुसवाई थी।
عشق چھوڑا ہے۔۔ ادھورا ہم نے،
آخری حصّے میں رسوائی تھی۔-