गर वही होता है जो कुछ भी लिखा होता है
फिर तो मंज़ूर मिरे पांव के छाले मुझको-
Hameedullah Ansari
(हमीद उल्लाह अंसारी)
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Urdu Poet | Student | Lucknow University
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Poetry on insta: @hameedullah_ansari
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Joined 16 August 2019
30 MAR 2022 AT 22:00
13 FEB 2022 AT 14:41
भरोसे पर है क़ायम ये मुहब्बत
बिना इसके नहीं है कोई लज़्ज़त
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अगर हम पर भरोसा ही नहीं तो
हटाओ जी, चलो छोड़ो मुहब्बत-
6 FEB 2022 AT 22:34
ग़मों से चूर रहते हो, बहुत मजबूर रहते हो
हमें मालूम है साहब, सनम से दूर रहते हो-
6 FEB 2022 AT 12:47
हम तो रोते रहे , गिड़गिड़ाते रहे
क्या सितम हमसे वो दूर जाते रहे
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मेरी आँखें थीं नम जैसे सैलाब हो
फिर भी आब-ए-लहू हम बहाते रहे-
5 FEB 2022 AT 16:17
याद बस याद ही नहीं रहती
इसमें भी तू यहीं कहीं रहती
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मैं तेरे पास भी नहीं रहता
तू मगर दूर भी नहीं रहती-
1 FEB 2022 AT 21:02
हमें रिश्तों से अग़्यारी नहीं है
मुहब्बत है अदाकारी नहीं है
मुहब्बत दिल लगी है, बंदगी है
मुहब्बत कोई बीमारी नहीं है-
31 JAN 2022 AT 20:47
उससे कहना कि चला आए, संभाले मुझको
इससे पहले कि समंदर ये बहा ले मुझको-
25 NOV 2021 AT 16:50
वो बहता सरयू का पानी, हमारा नांव में होना
नज़ारा कितना दिलकश था, हमारा गांव में होना-