पढ़ कर समझ लो मैं वो किताब नही हूं,
मेरा हर पन्ना नए जख्म की कहानी है.....!!-
"GOOD NIGHT FAMILY"❤️
सुनो! 'एकतन्हामुसाफ़िर' हूँ जो अकेले ही चल रहा है
'सफ़र-ए-ज़िंदगी' में, तुम मेरी हमसफ़र बनोगी क्या?1
सुनो! मैं इंतज़ार में हूँ मेरे वक़्त के आने का मूदत्तों से,
तुम साथ में मेरे, हमारे वक़्त का इंतज़ार करोगी क्या?2
-
तुम रोक ना सकोगे वो तूफ़ान बनकर आएगे
#shubhampal भैया हर समस्या का हल लाएगे
आपका अपना
#शुभम_पाल_युवा_समाजसेवी #-
"सभी परिवार वासियों को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं"
'सुंदर संसार'
कितना प्यारा कितना न्यारा, सुंदर सा ये संसार है।
न किसी से ईर्ष्या है न बैर, सब को सबसे 'प्यार' है।
चंचल निर्मल बहती धारा, नदी ताल सरोवर में यहाँ।
हरदम हर पल मनभावन, होता हैं यहाँ ये सारा जहाँ।
बस 'प्यार' ही 'प्यार' व्याप्त है सब में, आपसी प्रेम है।
कोई नही है यहाँ 'शत्रु' किसी का जग में बस स्नेह है।
इस संसार की सुंदरता की मैं क्या तारीफ़ करुँ 'अभि'।
शब्द कम पर जाएँगे, जो कुछ लिखना चाहूँ मैं कभी।
जो ऐसा होता जैसा मैंने सोचा तो कितना अच्छा होता।
कोई न करता बेईमानी हर कोई यहाँ जो सच्चा होता।
एक सुंदर संसार की कल्पना हम बरसों से करते रहें हैं।
लेकिन जब मौका मिला हम सच कहने से डरते रहे हैं।
बस कहने से कुछ नही होगा हमें असल में करना होगा।
सुंदर संसार के लिए हमें अपने आप से लड़ना होगा।। © हैरी:एकतन्हामुसाफिर
"मैं, ये मेरा काल्पनिक सुंदर संसार और इसके यथार्थ होने की कल्पना"
#धनतेरस_की_शुभकामनाएँ
-
"अब टूट गया तो अफ़सोस किया करें"
"दिल था बिखर गया अब आहें क्यों भरें".
"आज '9' बजे आ जाने सारे इंस्टाग्राम पर"
"फ़िर होगी सारी बातें अपनी उसी मुकाम पर"
"कॉलेब के लिए दरवाजे खुले हुए हैं"
"इंतज़ार में बाहें कब से खुले हुए हैं"
#एकतन्हामुसाफिर की बातें
अधूरी अनकही सी मुलाकातें
"मैं, दिल, दर्द, तन्हाई और मेरी रूहानी मोहब्बत"
-
मेरी उठती जवानी थी
जब मेरा दिल दर्द के
मजे से परिचित हुआ।
कुछ दिनों तक शायरी का
अभ्यास करता रहा और
धीर-धीरे इस शौक ने
तल्लीनता का रुप ले लिया।-
कितना कमा लेते हो"
ये सब पूछते है ..!
मगर कैसे कमाते हो"
यह कोई नहीं पूछता..!-
"GOOD NIGHT FAMILY"
मैं बेचैन सा कोई लम्हा❤️
सुकून सा एक पल है तू💕
सुनो! इस भागदौड़ भरी
जिंदगी में जो चार पल
तेरे संग बिताता हूँ न
सुकून बस उन्हीं लम्हों
में ही नसीब होता हैं.
जब तू मेरे दिल के
सबसे पास मेरी रूह के
सबसे क़रीब होता हैं.
कुछ नहीं बस यूँही....
"मैं वो और हमारी बातें"
"ख़्वाब वाली सारी मुलाकातें"
-
"ग़ज़ल"
"मुझे अपनी जान बना बे-जान कर गया वो"
मुझे अपनी जान बना कर के बे-जान कर गया वो
आशिक का नाम देकर मेरी पहचान ले गया वो|1|
यूँ तो अच्छा भला था अपनी वीरान सी जिंदगी में
'अभि' पल भर को साथ रह के तन्हा कर गया वो|2|
जानता था जिंदगी भी साथ छोड़ जाती हैं लेकिन
कहने को हमराह बन के बीच राह में छोड़ गया वो|3|
समझदार था मैं भी अव्वल दर्ज़े का लेकिन मेरे इस
दिल से दिमाग में उतर कर बद-वहास कर गया वो|4|
साँसों की तरह जरूरी था वो मुझको कभी कुछ इस
कदर 'अभि लेकिन हवा के जैसे हवा हो गया वो|5|
कि पत्थर दिल कहा करते ते थे उस को लोग सभी
मैंने जो ईबादत की कमबख्त भगवान बन गया वो|6|
स्याह रात सा अक्सर गुमनामी की जिंदगी जीता था
मैंने दिया उजाला सोहबत का सहर बन गया वो|7|
खुद को दिलबर कहा करता था मेरा बस मेरा था जाने
क्यों अचानक से रक़ीब का रहबर बन गया वो|8|
-