Habibullah Khan   (Habibullah Khan)
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मैं और क्या बयाँ करूँ अपने बारें में
क्या ये अल्फाज काफी नहीं हमें बयाँ करने के लिये..
Joined 10 August 2019


मैं और क्या बयाँ करूँ अपने बारें में
क्या ये अल्फाज काफी नहीं हमें बयाँ करने के लिये..
Joined 10 August 2019
17 HOURS AGO

क्यों नहीं रह पा रहे तुम उनके बिना,
देखो ना, तुम्हारे पास इतने लोग हैं...

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1 MAY AT 21:50

खबरदार ए दिल,जो फिर कभी तूने मोहब्बत की ख्वाहिश की तो,
बोहोत हो गया तेरा किसी और के लिये धड़कना...

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30 APR AT 23:05

किस मोड पे ले आयी है तु ए मोहब्बत,
अब उनके साथ भी नहीं रहा जाता और उनके बिना भी नहीं...

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30 APR AT 15:53

जिनकी आँखों में तुम कभी आँसू नहीं देख सकते थे,
उन्हें आज तुम खुद ही रुला रहे हो,
ए हबीब, अब तुम ये क्या कर रहे हो...

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30 APR AT 12:04

इतना क्यों याद आ रहीं हैं आप,
मेरे दिल पे इतना क्यों राज कर रहीं हैं आप...

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21 APR AT 10:17

छोड़ रहें हैं एहसासों को अल्फाजो में उतारना,
कुछ एहसास दिखाये ना जाये तो ही अच्छा है...

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20 APR AT 22:54

छोड़ भी दो, ये क्या लिखते रहते हो,
लिखने के बहाने बस उन्हीं को याद करते रहते हो...

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20 APR AT 21:28

क्यों उन्हें देखने के लिये इतना तरसते रहते हो,
आखिर वो भी तो इंसान हैं, कोई हूर तो नहीं...

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20 APR AT 18:49

खुद को काबू में रखना सीखलो हबीब,
ऐसा ना हो की उनके सपनो के बीच तुम आने लग जावो...

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19 APR AT 18:35

इस कदर भी मोहब्बत नहीं करना था हबीब,
उनके जरासा मशरूफ होने पर तुम्हारी दुनिया थम जाये...

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