साहब जी आप तो कपड़ो से पहचान लेते हैं...
जरा बताना ये गुंडे, गुंडियां कौनसी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं...-
जहां हम रहते हैं उसे मेवात कहते हैं...
यूं तो मेवाती में... read more
बड़े शौक से मांगते तो हो
मेरी शहरियत का सबूत...
मेरे बुजुर्गों की शहादत
भी लौटा देना
मेरी शहरियत के साथ...-
हेलो तुम सुन रही हो न जज्बात मेरे
आजकल काबू में नही रहे हालात मेरे-
इन बन्द लबों को खोल दे...
जो है जुबां पे बोल दे...
न डर किसी के जोर से...
न डर किसी के शोर से...
तू हक़ की एक आवाज़ बन...
तू बाजों की परवाज़ बन...
इन बन्द परों को खोल दे...
मेवाती जो है जुबां पे बोल दे...
हल्ला बोल हल्ला बोल
बायकॉट CAA@NRC-
मेरा देश भी आज शिक्षा में बहुत आगे होता
अगर जाली सर्टिफिकेट देने कोई शिक्षक खड़ा न होता
★ढाडोलिया की कलम से★
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तेरी नाराजगी जायज है...
★MeWaTi★
मैं खुद से खुस नही हूं आजकल
•●मेवाती की कलम से●•-
नागरिकता का सवाल इसलिए पूछा गया-
क्योंकि जो नागरिक होते हैं वो चुप नही बैठा करते।
मुर्दे बोला नही करते और नागरिक सोया नही करते।
★★★दिल से मेवाती★★★-
जिसे अंदाजा नहीं सीढ़ियों का...
वो हमसे हिसाब मांग रहा है पीढ़ियों का...-
कपड़ों से पहचानने वाले,
खुद कपड़ों में पकड़े गए.
पहनें हुए लुंगी टोपी,
पत्थर मारते हुए पकड़े गए.-
मौत के फरमान को किताबत समझ रहे हैं
कुछ लोग हक़ की आवाज़ को बगावत समझ रहे हैं-