ᴋᴜꜱʜ ᴋᴀᴩɪꜱᴍᴇ   (कुश की कलम✍)
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Joined 16 September 2018


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अक्सर मैं दूसरों के लिए रुका करता हूँ.. साथ आगे बढ़ने के लिए या कहे तो साथ चलने के लिए..और मैं इसलिए भी रुक जाता हूँ ये सोच कर की कही सामने वाला कुछ गलत न समझ लें, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में मैंने देखा है जिनके लिए मैं रुका वो अपने काम के लिए आगे बढ़ते गए... बस एक बार औपचारिक तरीके से पूछ लिया करते हैं.. "चलना है" मेरा जवाब जो भी हो.. लेकिन उनके कदम जवाब लिए बैठे रहते हैं।

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It doesn't matter how you see the world, but it matters how the world sees you, because the MAJORITY does matter!

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया को कैसे देखते हैं, लेकिन यह मायने रखता है कि दुनिया आपको कैसे देखती है, क्योंकि बहुमत मायने रखता है!

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हमारे देश की परिस्थिति ये है कि हिंदी फिल्म तो बनाते है लेकिन बनाने वाले हर वक्त अंग्रेजी ही बोलते है
स्क्रिप्ट हिंदी में बोलने के लिए होता है लेकिन लिखी रोमन भाषा में भी मिलती है
अंग्रेज-अंग्रेजी, चीन-चीनी, रूस -रूसी, स्पेन -स्पेनिश, जर्मन- जर्मनी ...लेकिन भारत मे ही ओफ्फिसियाली अंग्रेजी ही लोग बोलना चाहते है या बोलते है हिंदी बोलने में शर्म आती है
और तो ये ही नही
संविधान में दूसरे देशों की खूबियो को कॉपी किया गया लेकिन शिक्षा के मंदिर में ये कॉपी नही किया गया कि बाकी देश अपनी अपनी भाषा मे बात करते है तो हमे भी क्यों नही करना चाहिए।
बदवाल जरूरी है।
जैसे दूसरे देश वालो को ऊनी भाषा दुनिया के सामने बोलने में शर्म नही आती है तो हमे भी नही करना चाहिए।
हक़ से बोलो
हिंदी या अपनी क्षेत्रीय भाषा।

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जब कोई क़ीमती चीज़ आसानी से मिल जाती है तो लोग उसको एक्स्ट्रा खाना समझ कर फेक देने की सोच रखते हैं या जानवरों को दे देने को कहते है जोकि दोनों गलत है!! भले ही जीवन चक्र के सिद्धांतों को सामने रख कर आपकी आलोचना कर दें!!

ये इंसान ही है जो हर बात कहता भी है और उसकी आलोचना भी है करता है लेकिन समय और परिस्थितियों को समझ कर करना ये समझ की बात होती है!!

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हां!
ये सच है कि मुझे पढ़ाई में मन नही लगता
मैन आज तक किसी भी विभाग के लिए पूरी पढ़ाई नही की, कारण एक तो मेरी गलती है इसमें की मैं अनावश्यक कार्यो में समय बर्बाद करता जैसे फ़ोन चलना पड़ोसियों से बात करना और एक कारण ये भी है कि मेरे मन मे एक हलचल सी बानी होती है ये करू या वो। एसएससी रेलवे शिक्षक विभाग नेट क्या क्या करूँ।
एक महीने इसके लिए पड़ता हूँ तो दूसरा महीना उसके लिए, कुछ भी सही नही चलता, समय बिताता गया सारे साथी आगे बढ़ते गए।
एक दिन यैसा भी बिता जब लोगो के रिजल्ट आते जा रहे थे मैं सिर्फ उन सबके संदेश पढ़ता जा रहा था बस!!
अफ़ोसो के अलावा और चिंता का साया सर पर तांडव नृत्य कर रहा था।
किससे कहूँ की आज तक कामना शुरू नही किया।
पूजा पाठ भी करता हूँ तो मन में विचार आते हैं ये समय मैं कुछ पढ़ने में दें दूँ तो कुछ ठीक होता और यैसे में ईश्वर की आराधना भी बीच में मैं छोड़ देता था।

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एक वास्तविक नकारात्मक सचाई!!

आधुनिक युग में लोग बड़ो के साथ रहना नही चाहते है जो आपके साथ रह कर सही-गलत की जानकारी दें दर्शन, आयुर्वेद, विज्ञान इन सब की शिक्षा पहले भी दी जाती थी फर्क ये है कि पहले गहन अध्ययन अपनो के साथ किया करते थे और सही समय पर किया करते थे लेकिन आज नही

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ये थोड़ा अजीब लगता है..
गांधी ने कहा था धर्म को राजनीति से अलग नही किया जा सकता और यदि किया जाए तो राजनीति अपने नैतिक मूल्यों को खो देगा।

कांग्रेस गांधी को मानती है
लेकिन
भारतीय जनता पार्टी को गलती ठहरती है ये बोल कर की वो राजनीति में धर्म को क्यों ले कर चलते है।

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किसी ने सच ही कहा है
आपके मुख से निकले शब्द आपकी सोच को दर्शाता है

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यदि आप ये जान जाते है कि आप कहाँ से आये हैं
तब आप वापस भी जा सकते है वो भी अपनी मर्ज़ी से।

शून्य में समाधि
जहाँ आपका हृदय शून्य होता है
लेकिन आपकी चेतना ब्रह्मांड में।

ये संसार का सच है।

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वो देख प्रचंड रूप
देख कर वो भी विजय होगा !
मृत्यु का मरा रूप
देख कर वो भी विजय होगा !!

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