उनका पुष्प और तिलक से श्रृंगार...
प्रेम है..-
Gypsychor
(Gypsychor)
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London | Yes, I Dance | Painter | Infinite | Abstract | Gypsy psych| "अल्हड़, आवारा बारिश ... read more
Joined 11 August 2019
20 JUN 2021 AT 1:45
लकीरें हाथ की थी,
उनकी खामोश उम्र भर..
पकड़कर हाथ वो चले
खामोश उम्र भर..-
2 APR 2021 AT 7:10
मैं मेरे मन का अवघड़ बालक
रंगता जाऊं पतझड़ मन को
परवाह किसकी, अंजाम किसका-
5 MAY 2020 AT 3:22
परछाईयों में मै खुद की, तुझे हर रात ढूंढता हूँ
हाथ पलकों पे मै रख के, आफताब ढूंढता हूँ-