रिश्तों को संभालते संभालते कहीं मैं ख़ुद से ना हार जाऊँ
सबको एक जुट करते करते कहीं ख़ुद से ना बिछड़ जाऊँ
पता नहीं मैं सही हूँ या ग़लत समाज की नज़र में अपनों की नज़रों में
पर मुझे पता है मैं सही हूँ उसके समक्ष और ख़ुद की नज़रो में
मैं नहीं चाहता दुःख पहुंचाना किसी को
पर कब तक सहूँ सीने में खंजरों कों
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रिश्ता बचाने के लिए ख़ामोश रहना अच्छी बात है परन्तु अपना आत्मसम्मान बेच कर आप कभी किसी से सम्मान नहीं ख़रीद सकते
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लोगों की महफ़िल में
दिल चुप चाप अकेला खड़ा है
ऊपर से खुश कितने है लोग
अंदर सबके सैलाब भरा पड़ा है
कोई तो मिले दुनिया में हीरा कोई
या सिर्फ़ कोयलों से ही
यह सारा संसार भरा पड़ा है ?-
हर मध्यमवर्ग के बड़े की कहानी
ज़िम्मेदारियों का बोझ उठा लिया
सपनों को अपने दफ़ना दिया-
अर्थ जान लो यह दुनिया का
अर्थ नहीं तुम्हारे पास तो अर्थ नहीं तुमसे किसी का-
दिन बड़े हुए है, चेहरा नहीं देखा है
तुम्हारी गोद में अपना, सिर नहीं रखा है
बाल मेरे, उँगलियाँ तेरी आज भी ढूँढ़ते है
कान, तुम्हारी आवाज़ दिल तक ले जाने, आज भी खोजता है
वो तेरा चाय का कप साथ रखे, चाय पीता हूँ
तुम्हारे ना होते हुए भी चुस्कियाँ तेरी सुनता हूँ
सामने सूरज ढलता सवाल मुझसे पूछता है
क्या बात है ? चाँद तेरा कहाँ है ?
दिन बड़े हुए है, चेहरा नहीं देखा है-
तू तो दौड़ने निकला था
सितारों को तौड़ने निकला था
मंज़िल पाके ही रहूँगा
संकल्प लेके निकला था
अभी तो आधा नहीं दौड़ा
रास्ता बाक़ी है पूरा
बस एक छोटी असफलता से
चलना क्यों छोड़ा?
क्या सोचा था सफलता मिल जाएगी?
बिना असफलता दिखे मंज़िल पास आयेगी?
असफलता एक चुनौती है उसे स्वीकारना से ही
उसके पीछे छुपी सफलता तभी नज़र आयेगी-
एकांत में बैठा मैं सोचता रहा
क्या पाना था मुझे जो खोजता रहा
सब कुछ पाया पर क्या पाया?
क्या जीवन का मतलब सिर्फ़ पाना रहा?
सवालों के जाल ने घेरा है
जीवन क्या है खोजना है
अधिकतर जीवन शायद निकल गया
बाक़ी जो बचा, क्या सिर्फ़ ढोना है?
हर दिन को मैं जीवन मानू
हर प्रानी को अपना मानू
कष्ट दूसरो का धर्म मानू
तो लगे शायद जीवन अपना
व्यर्थ नहीं मैंने खोया है-
एक छोटी सी चोट से टूटना
क्या मैंने तुझे सिखाया है?
अच्छा चलो टूट भी गया, तो आईना नया बनाया है
सूरज की तपन से जलना मैंने कहाँ सिखाया है
जलते सूरज को भी तो रास्ता मैंने दिखाया है-
ख़्वाब तुम्हारा होगा
मेहनत तुम्हारी होगी
अशफलता तुम्हारी होगी
पर सफलता ? वो तो उनकी होगी
फ़र्क़ नहीं पड़ता दुनिया को
तुम हारो या जीतो
पर साथी नहीं हार का कोई
जीत की साथी दुनिया होगी-