इंसान रहता है खताएं याद रहती है,
अंजान से रास्ते की अदाएं याद रहती है ।
और तकब्बुर शोर करता है लाखों मुतकब्बिर लोगों की,
मैं जब घर से निकलता हूं तो आंखों में अदब की सारी सदाएं याद रहती है ।।-
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Dil ki jubaan meri kalam se
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Your words and actions start loosing value when you become
"available always"-
इश्क की गलियों में रोज़ाना भटकता हूं ,
अपनो के नजरों में उन्हें अपना ही खटकता हूं...
और कौन कहता है की ज़िंदा नहीं,
ज़िंदा हूं पर ज़िंदा लाश बन के लटकता हूं ।।-
राहगीर को घर लौट कर आते देखा है,
एक शख़्स को शर्म से नज़रे झुकाते देखा है ।
वो पूछती है छोड़ तो नही दोगे मुझे ?
अपनी जान को मैने खुद को मेहमान बनाते देखा है ।।-
एक शख्स ख़ामोशी का व्यापार करता है,
खुद को तोड़ कर सारी हदें पार करता है,
जानता हूं उसके दिल पे हुकूमत नहीं है मेरी,
फिर भी दिल उसका साथ देने का इंतज़ार करता है,
एक शख़्स इस क़दर ख़ामोशी से वार करता है...।-
वक़्त देते हो मुझे दूर होने का फ़ैसला साज़ी करने के लिए,
ये बता मौत से रूबरू होने का इंतजाम क्या क्या है ?
आदत, मोहब्बत, चाहत और ना जाने क्या क्या ।
मुर्शद,
उससे इश्क करने का और बता एहतमाम क्या क्या है ?-
बहुत से क़िरदार निभाने की सोचता हूं,
अनकही बातों को दफनाने की सोचता हूं...
मेरी कहानी तेरी कहानी के इस दौर में मुर्शद,
ना जाने क्यों क़िताब जलाने की सोचता हूं...!-
रात भर अंगड़ाइयां लेती रही धड़कन
किसने सोचा था सुबह की रोशनी में इसके खरीदार तुम होगे...!-
रफ्ता रफ्ता मेरे दिल के सारे ज़ख्म भर आए,
उसने कदम रखा और खाली पड़े महफ़िल भर आए,
मेरे जिस्म से सांसें निकल जाती है मुर्शद,
गर मेरा महबूब अपने होंठों से आहें भर आए...।-
धूल जमती रह गई तख्त पर पड़े किताबों पे,
और कविता आशिकों के ख्याल में सुलझता रह गया...।।-