मिले अजनबी कई, कभी साथ छूट गए।
हमने छोडा हाथ कभी, कभी वो हमसे रूठ गए।।— % &-
(You can call me vishu )
हिचकी....!
कभी 4 तो कभी 5 हिचकियों में ही कोई तकल्लुफ़ पूरी कर रहा है।
ना जाने कोन कम्बक्ख्त मुझे किश्तों मे याद कर रहा है।।-
हसरत थी बाकी, मगर हर कोशिश नाकाम रही।
जिंदा तो हम भी रहते मगर यार ये जिंदगी बेईमान हुई।।-
ली थी जज़्बात ने एक सास गहरी, जज़्बात दम तोड़ गए।
यार मुझे माफ करना अब मेरे शब्द खत्म हो गए।।-
जला दिया था सब....
मैने उस सर्द रात में, उठती लपटो मे
मेरी डायरी के वो कुछ भीगे पन्ने,
जिक्र जिन पर तेरा था।
दिया वो तेरा गुलाब....,
जिसकी सूखी पत्तियों से महकता हर पन्ना मेरा था।।
जुबा भी मेरी "वो नहीं जानता मैं उसे कितना"
ये कहते-कहते रुकी थी।
क्या धड़कने भी तेरी
कभी मेरे नाम से कभी थमती कभी बढ़ी थी।।
या मैं ही बावरी सुध बुध गवये तेरे पीछे पड़ी थी।।
हां.. जला दिया सब... उस सर्द रात में
मेरे नाम के पहले अक्षर में छुपाया
जो तूने तेरे नाम का पहला अक्षर था।
बुन अक्षर को अक्षर में बुना जो तूने हमारा अक्षर था।।
रुके तुम नहीं, ऐसा नहीं कि हमने रोका नहीं।
जाने को कहा माना, जान... तुम तो मुझे
जानते हो ना फिर कैसे तुमने मुझे पहचाना नहीं।।
निशा हमरे सब उठती लपटों में जल राख हो गए।
हमारे ही हाथों हमारे हर अरमा खाक हो गए।।
__(Tumhari chashmish❤)
_Gustakh_dil-
तोड़ खुद को रातों में
सुबह फिजूल बुन रही हूं
हां.. मैं सांसे आखरी रही हूं।-
मरहम, दवा, दुआ नही है अब काम के कोई।
कुछ ला सको तो ला दो उसे कोई।।-
मैने शिद्दतो से बिताई है मुदते तुझे पाने को।
तू करवाना इंतजार शौक से....,
मैं तैयार कुर्बान करने को हर जन्म तेरे इंतजार को।।-
Don't dare to hurt me otherwise,
I will kill you without giving you death...!-