Guruvendra Singh   (अज्ञात लेखक)
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✍️✍️Every flower is the soul in nature.✍✍
Joined 20 April 2018


✍️✍️Every flower is the soul in nature.✍✍
Joined 20 April 2018
28 JAN 2022 AT 0:38

भीड़ यूँही ज़नाज़े में नही होती साहब,
हर कोई अच्छा हो जाता हैं,
बस जरूरत चन्द साँसें छोड़ने की है ।।

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8 MAR 2021 AT 1:51

वो किसी ग़ुलाब की मोहताज़ नही,
ज़नाब....
जो ख़ुद इस क़ायनात की बाग़वान है !!

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25 FEB 2021 AT 22:53

जब मिलती ही नहीं,
तो मोहब्बत होती क्यूँ हैं ?

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15 JAN 2021 AT 0:57

चुप मुझसे कोई एक है,
चुप मैं हजारों से हूँ ।।

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11 DEC 2020 AT 19:13

तलाश उसकी है जिसके बाद
किसी की तलाश ना रहे...

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11 OCT 2020 AT 17:23

हमे बहुत खूबसूरत नजर आ रही है,
ये राहें तबाही के घर जा रही है

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14 SEP 2020 AT 14:15

भाषा जब सहज बहती,
संस्कृति, प्रकृति संग चलती।

भाषा-सभ्यता की संपदा,
सरल रहती अभिव्यक्ति सर्वदा।

कम्प्यूटर के युग के दौर में,
थोपी जा रही अंग्रेजी शोर में।

आधुनिकता की कहते इसे जान,
छीन रहे हैं हिन्दी का रोज मान।

हम सब मिलकर दें सम्मान,
निज भाषा पर करें अभिमान।

हिन्दुस्तान के मस्तक की बिंदी
जन-जन की आत्मा बने हिन्दी।

हिन्दी के प्रति होंगे हम 'सजग'
राष्ट्रभाषा को मानेगा सारा जग।

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30 AUG 2020 AT 21:14

सफ़र छोटा ही सही पर यादगार होना चाहिए,
रंग साँवला ही सही पर वफ़ादार होना चाहिए.!

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1 AUG 2020 AT 13:02

एक बार पूछ तो लेते कैसे हो,
ये बात इश्क़ में तो नहीं आती ना.

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9 JUL 2020 AT 23:31

दोस्तों ने पूछा ज़िंदगी कैसे बर्बाद हुई,
मैंने ऊँगली उठाई और फ़ोन पर रख दी
😝😝

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