।।हर सुबह न जाने मुझे क्या हो जाता है
ये दिल उसकी यादों में खो जाता है
वह हर लम्हा जो बीता था उनकी बाहों में
उस लम्हा की यादों में तकिया भी भिंग जाता है
वह तकिया जिसे मैं सीने से लगा कर सोता हूँ
वह भी सुबह हैरानी से मुझसे पुछता है
वह कौन खुशनसिब है
जिसका प्यार तेरी आँखों से हर रोज बहता है।।-
I would like to do something new everyday.
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Now it is not necessary for everyone to remember everyone
It is not necessary for a friend to remember friendship
Forgetting the face of childhood friend, this is not a new thing
Life is long, it doesn't matter if someone is left
But even after saying that I am your friend but she did't belive
Then nothing is more surprising than this.-
अब हर किसी को हर कोई याद रहे ये जरूरी तो नहीं
दोस्त को दोस्ती याद रहे ये जरुरी तो नहीं
बच्चपन के साथी का चेहरा भूल गयी ये नयी बात नहीं
जिंदगी की दौर लंबी है कोई छूट गया तो कोई बात नहीं
पर जो कहने पर भी ना माने की मैं तेरा यार हूँ
तो इससे ज्यादा अचंम्भित करने वाली कोई बात नहीं।-
उतरते गए नकाब चेहरों से
जब साँसों की कीमत मिट्टी हो गई।
अर्थी सजने लगी जब,तो मायूसी छाने लगी
ज्ज़बात सभी की सामने आने लगी।
कड़वे बोल बोलते थे जो कभी
आज जब आग लगी तो सबकी जुबान मीठी हो गई।
मरने के बाद सबको
उस सख्स की कीमत समझ में आने लगी।
जिंदा में जो कभी याद न किया उसे
मरने के बाद उसकी याद उसे रुलाने लगी।-
लाॅकडाउन का असर
जिंदगी चल रही थी मजे के साथ
अचानक एक तूफान आया आंधियों के साथ
सबकी जिंदगी को तहस नहस कर दिया
घर,व्यापार,स्कूल आॅफिस सबको बंद कर दिया
जो छुपी हुई थी दूरियाँ एक व्यक्ति की दूसरे से
Sicial distancing ने वो भी clear कर दिया
दिखावे के नाम पर जो रिश्ता खडे़ थे
कम gathering ने उसे भी बंद कर दिया
किसी के सुख-दुःख में शामिल होना रिवाज है
दिखावे के नाम पर जुडा़ हुआ समाज है
इसीलिए कुदरत ने सबको घर में बंद कर दिया
कोरोना वायरस ने वह काम बखूबी कर दिया
परिवार क्या होता है सबको अच्छे से समझा दिया
Savings है जरुरी इसका ज्ञान करा दिया
फिजूलर्खची थी जो सबको बंद करवा दिया
कोरोना ने जीवन जिने का नया तरीका सीखा दिया।।-
किसान आज खडे़ हैं सड़कों पर
बचाने अपनी मिट्टी को
खुद का हक लेने को
खडे़ हैं आज सड़कों पर
उनके फसलों का दाम सरकार कैसे तय करेगी
उनके मेहनत का दाम सरकार कैसे भरेगी
हौसलों को बुलंद कर किसान भी आगे आए हैं
खुद के फसलों का दाम खुद से तय करने को
आज सरकार से टकराये हैं।
मिट्टी हमारे पूर्वजों की
मेहनत हमारी बाजूँओं का
खून पसीने से कमाई- ये हमारी फसल है
उसका दाम हम तय ना करे
इससे बडा़ अभिशाप और क्या है
पर अब हम ये सहन नहीं करेंगे
हमें अपने फसलों का दाम खुद से तय करना है
सरकार को भी अब अपने सामने नतमस्तक करना है।
भलाई हमरी चाहते हो न
तो पहले समझो हमारे दुःख को
कर्जों को हम सहते आए
आत्महत्या हम करते आए
बेदर्द सा मंजर सहते आए
सबकी भूख हम मिटाटे आए
बंजर से बंजर खेतों में हल चलाते हम आए
सूखा-बाढ़ जैसे हलातों को
मिलजुल कर सहे हम किसान
फिर भी हमें इज्जत नहीं मिलती
इससे आगे क्या बताए एक किसान
जय जवान ,जय किसान।।-
तुम दुआ हो मेरी।
तुम एक खूबसूरत एहसास हो मेरी।
कभी गुस्सा ,कभी आँसू और कभी खिलखिलाहट से भरी जान हो मेरी ।
खुद ही चिढा़ती हो फिर खुद ही हँसाती भी हो।
मेरे गुस्सा हो जाने पर खुद संमभालती भी हो।
तुम उस खुदा की भेजी खूबसूरत सौगात हो।
जिससे रौशन मेरी कायनात है।
तेरी-मेरी यारी बयाँ कर पाए ऐसी कोई कलम नहीं
हुस्न- ए-जान की तारीफ करना मुनकीन नहीं ।
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।। नशीली आँखों से ना देखो ऐसे
शायर का दिल है पिघल जाएगा
ये जो बार बार कुछ बोलती हो ना
तो ये दिल सम्भल नहीं पाएगा
ये तुम्हारे जुल्फ हमेशा चेहरे पर आ जाते है ना
कोसिश तो करो सम्भल जाएगा
और जो तुम अभी भी नहीं रोकी मुस्कराना अपना
खुदा कसम मेरे जुबान से वो 3 शब्द निकल जाएगा
नशीली आँखों से ना देखो ऐसे
शायर का दिल है पिघल जाएगा।।-
मासूमियत देख के उसके चेहरे की
ये दिल थम सा जाता है।
महसूस कर उसको अपने पास
मेरे रूह को सूकून मिल जाता है।
उसकी एक मुस्कराहत के खातिर ही
हम जैसा शख्स भी जोकर बन जाता है।-
पापा को भी दर्द होता है।
घर बना कर भी..
वो कहाँ चैन से सो पाते है।
अपने जिम्मेदारीयों को निभाने के खातिर
न जाने कितने खुशी के पल को खोते हैं।
हम दिवाली कि खुशियाँ मनाते हैं
पापा नौकरी से घर भी नहीं आ पाते हैं।
अपने हलातों पर
पापा को भी दर्द होता है।
अपनों के खातिर ही वो
अपनों से दूर होते हैं।
अपनों को न हो सके कोई कष्ट
इसलिए न जाने खुद कितने कष्ट को सहते हैं।
उनके गोद में सर रख कर
कहाँ कोई बच्चा रोता है।
पर उनके लिए तो उनका बच्चा ही सब कुछ होता है।
अरे भाई पापा को भी दर्द होता है।
ऐसा नहीं की...
वो अपनों के साथ वक्त गुजारना नहीं चाहते हैं।
पर उन्हें समय कहाँ की अपनों से अपनी बात बतायें
उन्हें तो अपने बच्चों की भविष्य की चिंता सताती हैं।
बूढे़ बाप की दवा उन्हें समय पर पहूँचानी होती हैं।
वो रोते तो नहीं पर...
उनके चेहरे की झुरियाँ सब कुछ बयाँ कर जाती है।
फिर भी लोग पापा को क्यों समझ नहीं पाते हैं।
पापा को भी दर्द होता है
पापा को भी दर्द होता है।
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