बहुत बदल चुके है हम, साथ चलते चलते चकाचौंध की दुनिया ने बदला,मिलते मिलते ना जाने क्या हो गया है, समृद्ध विरासत को नया जमाना भूलता जा रहा है मर्यादाओं को
कितनी ही तमन्नाएं दफ्न हुयी कितने अरमां अभीतक कैद हुए फिर ढूंढा जग का कोना कोना तब जाकर इस दिल ने माना भीतर खुद के जब गौर करेगा मंज़िलों का सुराग मिल जायेगा।।