Guru Prakash   (TheGuruPrakash)
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Joined 28 May 2020


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7 DEC 2022 AT 12:14

मैं एक बेटी के जज्बे और उत्साह को हीं नहीं बल्कि एक इतिहास देख रहा हूँ... आज मेरे GK में एक और नया तथ्य जुड़ गया..जिसकी शुरुआत बिहार से हुई पर भारत जैसे महान देश इसका मिशाल बना।

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23 NOV 2021 AT 8:52

जब कोई बड़ा झुक जाए तो हमें ये लग सकता है कि हमने जंग जीत लिया...
पर जब थोड़ा और परिपक्व होते हैं तब हमें अपनी मूर्खता का ज्ञान होता है।

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10 NOV 2021 AT 9:43

मेरी चश्मे अलग है तेरी चश्मे अलग है...
क्या तु मेरी चश्मे से दिखने वाले
पहलुओं को देख सकता है?

यही समस्या है बात बन जाए तो
मैं हम नहीं तु हम होगा...

इसका समन्वय हो जाए तो
मैं और तु हम होगा...

पर निदान हो जाए तो
न मैं न तु हम हम होगा...

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9 NOV 2021 AT 21:42

रूनकी झुनकी बेटी मांगीले,
पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मैया...😂😂
सुबह आँखें खुलने से पहले कान में पड़ते ही मन सावधान...शरीर आलस्य त्याग पूर्ण अनुशासित।
आस्था = अनुशासन + एकता का गजब संगम जो इस महापर्व में देखने को मिलता है वो कहीं नहीं।
स्वच्छता, प्रकृति प्रेम, अनुशासन, एकता, भाईचारा, समानता, आलस विहीन दिनचर्या और भी ढेरों जीवन मूल्य बहुत कम समय में सीखा जाती है जो एक सप्ताह का कोर्स ही कह सकते है।
लोक आस्था से परिपूर्ण छठ व्रत की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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9 NOV 2021 AT 17:10

जो खुद में व्यस्त है
उसे दूसरे का बुरा करने का वक्त कहां!

मैंने कई नाम दर्ज किए थे डायरी में...पर मैं जबसे व्यस्त हुआ उन पन्नों को दीमक चट कर गए और वो नाम भी ओझल हो गई...अब नया लिस्ट बनाने का कोई इरादा नहीं...
जिंदगी भी छोटी है वक्त भी कम है। अपना भला हो जाए साथ में दूसरों की भलाई जुड़ जाए वही बहुत है।

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2 NOV 2021 AT 2:25

सोच महान हो सकता है पर महानता आदतों से झलकती है।
आदतें अच्छी हो सकती है पर अच्छाई व्यवहारों से झलकती है।

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2 NOV 2021 AT 2:03

वाणी अच्छी होना दिखावा भी हो सकता है।
जो वाणी आदतों में उतर जाए
और स्वतः व्यवहार में झलक जाए
वही व्यक्ति की वास्तविकता और सोच है।

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15 OCT 2021 AT 16:15

सौ बार गिरे सौ बार उठे ये जज्बा अब भी जिंदा हैं
हर बार यही लगता है फासला कुछ कदमों का है।

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15 OCT 2021 AT 15:07

मैंने पुराने राहों पर टहल कर महसूस किया
मेरे फितरत में नहीं और आगे निकलना
मैं दरिया संग बह कर जो कुछ पाया
किस्मत में लिखा है इसी से संभलना

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13 OCT 2021 AT 13:01

ये औकात दिखाने वाले लोग कुएँ के मेढ़क होते हैं।
ताज्जुब की बात है ये जिस कुएँ में उछलते है वो कुआँ भी इनका नहीं... संयोगवश इनके बाप का होता है।😂

हम किसी कुएँ की मालिक नहीं...हमारे ऊपर खुला आसमान है जिसके नीचे अनंत कुएँ हैं।
जितना चाहे उतना बटोर लो।🙌

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