गुरु भारती२२२   (❤️गुरु भारती❤️)
504 Followers · 6 Following

ज़िन्दगी को पढ़ने का शौख रखती हूं
फिर उसे दिल के कलम से लिखती हूँ
Joined 10 June 2018


ज़िन्दगी को पढ़ने का शौख रखती हूं
फिर उसे दिल के कलम से लिखती हूँ
Joined 10 June 2018

सुबह से शाम कब हो जाती है
ये पता नही रेहता
खुदको भूलकर बस मन ये
उनकी सफलता का ही सोचता
कभी माँ कभी बेहेन तो कभी बच्चा
ये दिल उनके रंग में रंग जाता ऐसा है ये रिश्ता
एक अध्यापिका का किरदार
निभाना आसां नही होता
जब खुद एक अध्यापिका बने
तो ये एहसास हमे हुआ
पर एक सुकून सा मिलता है इसमें
इसलिए गुरु का स्थान हर कोई नही ले सकता

-



ज़ुबां जबसे बोलने लगी है
मन मौन सा हो गया है
अल्फाजें जुबा से दोस्ती कर बैठी है
मन से मिलना जुलना ज़रा काम हो गया है
पर अल्फ़ाज़ों का रास्ता मन से होकर ही गुजरती है
ज़ुबां ये सुनकर ज़रा नाराज़ सा हो गया है।

-



उम्र न पूछो हमारी हमसे
हमारे चाहने वाले हमसे उम्र में छोटे हैं
जो प्यार में उम्र देखें
वो बिन पैंदे के लोटे हैं
क्यों उनका दिल हम तोडें
इस दर्द से जनाब हम भी गुज़रे हैं

-



पैसे का घमंड किसे दिखाते हो
पैसे का घमंड किसे दिखाते हो
ये घमंड हम पहले ही दिखा चुके हैं
अब ये पैसा किसे दिखाते हो

-



कुछ दिनों से नही लिखा
तो लगा भूल गई लिखना
मन याद दिलाता रहता था
पर इन हाथों को दस काम ने घेरा था
अब जब आज लिखा है कुछ
दिल को बड़ी खुशी मिली सच-मुच😘

-



तुम नासमझी का दिखावा करते रहे
सच जानकर हम भी नासमझ बने रहे
बुरा न लग जाये किसी बात का तुम्हे
तुम्हारे झूठ को सच मानकर चुप रहे
तुम हमे ठेस पे ठेस पहुंचाते रहे
बचपना समझकर हम भी सब सेहते रहे
पर एक बात हम तुमसे है केह रहे
जो भी किया उसका शुक्रिया कर रहे
ग़र तुम हमारे साथ ऐसा न होते कर रहे
तो हम अपनी एहमियत को न होते समझ रहे

-



गुस्सा कुछ पलों का
दुख हो जाये जैसे बरसों का
मनाने की कोशिश कोई करे
दिमाग़ हर-पल यही सोचा करे
इससे भी गर कोई काम न बने
जाओ खाना नहीं खाना चलते बने
हद पार तो तब है हो जाती
रात भर भूख पेट पकड़ गालियां दिए जाती
कम्बख़्त दिमाग़ का सारा कसूर था
नींद खाने के बग़ैर नही आती क्या पता था
दिमाग़ से कहा अब कुछ सोचो चलो
केहने लगा जाओ रसोई चुपके से कुछ खालो चलो😂😝

-



थकान तो बहोत है
किसे कहें कि और चला न जाता
सभी भीड़ मे मग्न है
एक अकेले की आवाज़ कौन सुनेंगा
हिम्मत अभी टूटी नही है
धीरे-धीरे ही सही सफ़र तय तो है करना
उम्मीद का दामन छोड़ा नही है
उसी के आँचल में तो सोकर ये थकान है मिटता

-



नदी सामने थी मैं प्यासी थी
हर छोटा बड़ा जीव उसमे डुबकी लगा रहा था
आस पास कोई नही मैं प्यासी तड़प रही
मन मेरा ये सब देखकर दुविधा में था
प्यासी हूँ फिर भी मैं उसमे गंदगी न हो सोच रही थी
मन की गंदगी दिखाई न देती उससे बेहतर तो ये पानी था

-



छोड़ दिया था पीछे कहीं खुदको
आगे तो केहने वाला भी कोई नही के रुको
याद आने लगी फिर मुझे मेरी
ढूंढने लगी ख़ुदको फिर अकेली
आगे तो कोई न था पीछे मूड़ फिर दौड़ी
वहीं रो रही बैठे उसकी कसूरवार भी तो मैं ही थी
अब तो दुनिया छोड़ दूं खुद का साथ नही
खुद को भुलाके मैं तो कभी खुश रही भी नही

-


Fetching गुरु भारती२२२ Quotes