जो चले गए खुद को बदल कर, उम्मीदों के सहारे लौट कर न आएंगे। खुदा को मन में रख आगे बढ़, कितने ही खिलते चेहरे नज़र आएंगे। सब उम्मीदों को छोड़ उस जुनून को जगा लो, फिर दिन क्या फिर रातें, वो सब मंजर पूरे हो जाएंगे।
उस मोड़ पर आ खड़ी हो चुकी है मेरी जिंदगी की ये गाड़ी, जहाँ अकेला मैं हूँ और खिलाफ है दुनिया सारी। समुद्रं के तल पर उतरा हूं जीने की हुई कम आस है, वो हाथ जो ले जाए तट पर खींच मुझे वो कोई और नहीं मेरा खासमखास है।