ज़माने को होगी खबर धीरे धीरे
हो बदनाम जायेंगे दोनो यहाँ पर
अलग होगा फिर सफ़र धीरे धीरे-
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रात जब होती है तारों के बगीचे में
वो चले आते है ख्वाबों के दरीचे में-
मुक्त हो जाए भ्रम भूलेखों से तो आज़ादी है
मुक्त हो जाए मैं की दीवारों से तो आज़ादी है
मुक्ति मरन उप्रान्त नहीं जीते जी ही मिल जाए
पाले जो ये अवस्था सही मायने में तो आज़ादी है
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बिक गया हर शख़्स तेरी दुकान पर
ना हक रहा खुद पर ना मकान पर
सड़क जर हो गया मालिक शहर का
ज़ख्म दिया दिल पे हुआ गुमान पर-
दिलो जां ये जहाँ आप के लिए है
पियावर हम यहाँ आप के लिए है
दुआ मांगू कभी ना अजाब आए.
ख़ुशी के कारवाँ आप के लिए है
कफस मैं रेहने दो जिसे रहना है
चमन में आशियाँ आप के लिए है
निगाहे देखले आपकी जिधर तक
जमी-ओ-आसमाँ आप के लिए है
बना लो "प्रीत"को ही रफीक अपना
सनम ये अर्ज़ियाँ आप के लिए है
Penned By
Gurpreet Nirankari "Preet"-
बदल गए जो खुद ज़माने के साथ-साथ
वही तोहमत लगाते हैं के हम बदल गये-
कुछ दिल के काले लोग हैं , कुछ पहन काला घूमते हैं
कलि के इस युग में कमबख्त साफ दिलवाला ढूंढते है-
अच्छाई की बुराई पर सदा विजय का प्रतीक है विजय दशमी
अपने अंदर के रावण के दहन का प्रतीक है विजय दशमी
लेके नाम श्रीराम का श्रीराम के आदेशानुसार जीवन जीना है
ऐसे सात्विक जीवन के प्रारम्भ का प्रतीक है विजय दशमी-
सीखा है तुमसे हर बात हर मुलाक़ात का अंदाज़ हमने
और जुबा से कब और कितना निकले वो अल्फ़ाज़ हमने
मुफ़लसी में भी हमे सबर और शूकर से जीना सीखाया
लौटकर आजा रो रो के अकेले में बहुत दी आवाज हमने-
माना के दिल तोडा है किसी ने हमारा और दर्द में भी है
पर किसी का दिल हम तोड दे इतने भी संगदिल नहीं है-