अक्सर मेहसूस होता है, तू मेरे साथ है कभी ख्यालों का हिस्सा, कभी हसीं एक याद है "मीत" बेशक दो पल का एहसास ही तो है ये तू आज भी मेरी जिंदगी का खूबसूरत एक ख्वाब है
अभी तो आए हो, जाने की बात मत करो इश्क़ में हमें फ़ना करने की बात मत करो ईन निगाहों से मुझे खुदाई देख लेने दो तुम "मीत" को काफिर बनाने की बात मत करो डूब जाने दो इस मुहब्बत के समुन्दर में हमें ए सनम, लहर से डराने की बात मत करो
वो कहते हैं कि बहुत बोलता है ये हमारे हर राज, खोलता है ये वो चाहते है कि एक डरी सी सोच रहूँ अब उन्हें कैसे समझाऊं 'मीत' कोई मुर्दा नहीं हूं मैं, कि खामोश रहूँ