दिल का तोहफा
दिल का तोहफा लेकर आया,महफिल में खुद को तन्हा पाया।
जो लोग भौतिक उपहार लाए,उन्होंने भरपूर सम्मान पाया।
बेशर्त प्रेम का अपनापन,ये तोहफा कोई कोई समझ पाया।
सब चाहें माया का उपहार,जो लाया उसी ने रंग जमाया।
मोह माया की दुनिया है यारों,हर कोई चाहे माया ही माया।
दिली मोहब्बत धूल खा रही,कौन समझे ये शीतल छाया।
संकट में ही बेशर्त रिश्ते याद आएं,बड़ी विचित्र मन की माया।
जो रिश्ते दिल से प्यार करें,उन्हें बनाकर रखिए हमसाया।
गुरमीत-
साफ साफ बता देना
गोल मोल बातें अर्थहीन,जो कहना हो साफ साफ बता देना।
घुमा फिरा के मत बोला करो,सही से जज्बात जता देना।
आधी अधूरी बात को कहकर,उसको भ्रमित मत करा देना।
गलती तो भैया अपनी है,जवाब को गलत न ठहरा देना।
किससे कब कहां क्या कहना,इस बात का भी ध्यान रखना।
आपकी सही बात को सुन सके,इसका जरूर ज्ञान रखना।
साफ कहना खुश रहना,पर जो हमें समझें उनसे ही कहना।
बोझ दिल से हट जाएगा,हल्के मन और आनंद से बहना।
गुरमीत
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मन के पास उपाय है
संकल्प अगर मजबूत हो तो,मन के पास उपाय है।
तुम बॉस बन के तो देखो,फिर ये मन तुम्हारा निकाय है।
हमने ही मन को मालिक बनाया,यही खुद से अन्याय है।
रूह अपनी कलप रही,मन अपनी तृष्णाओं का अध्याय है।
स्वअनुशासन संस्कार सदाचार हों,मन सच्चा सहाय है।
मन को अपना शुभचिंतक बनाओ,फिर वो अमृत गाय है।
संतोष प्रेम प्रज्ञा मन में बसाओ,जीवन तभी सुखाय है।
मन बहुत शक्तिशाली अस्त्र,हर मुश्किल का वहां उपाय है।
गुरमीत-
साथ न दे सके तुम्हारा
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी,जो साथ न दे सके तुम्हारा।
ऐसा कहने वालों के बारे में,जरा फिर से सोचिए दोबारा।
एकदम राय बनाना ठीक नहीं,पहले समझें पूरा नजारा।
मुश्किलों में वो भी हो सकते,धूमिल हो उनका सितारा।
रिश्ते गर उनसे निस्वार्थ हों,विश्वास की बहाते रहें धारा।
आपसी समन्वय बना कर रखें,सफर को बनाएं न्यारा।
सही गलत के फर्क को समझें,यही सच्चा गहना है हमारा।
अपनें गर साथ न दे सके तो,रिश्तों को न छोड़ें बेसहारा।
गुरमीत
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करुण रस कविता
इस तिजारती दुनियां में,गायब हो गया करुण रस का भाव।
मगरमच्छी आंसू ही दिखते,करुणा का नहीं दिखता बहाव।
करुणा औपचारिकता बन गई,जैसे सूखी नदी में खड़ी नाव।
देश के लिए जो चले गए,कौन देखे उनके परिवार के अभाव।
द्रवित नयन करुणा भरे कथन,सोशल मीडिया पर दया भाव।
ऐसे जज्बात होते तुरंत तिरोहित,करुणा को मिलता नया घाव।
करुण रस तभी साकार होगा,जब समाज पर हो सही प्रभाव।
संवेदनाएं हर ह्रदय में बह सकें,करुणा शुद्ध कर सके स्वभाव।
गुरमीत
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रास्ता मिल ही जाता है
दरिया के मानिंद बहते रहो,रास्ता मिल ही जाता है।
लोभ मोह ईर्ष्या के बांध से बचो,बहने का सुख बहुत आता है।
ज्ञान उमंग हिम्मत का जज्बा हो,सफर सरल कहलाता है।
जरूरी सामान ही लेकर चलो,फिर मन राह नहीं भटकाता है।
अहंकार व शक्ति का सुख क्षणिक,ये मार्ग बहुत भरमाता है।
शॉर्ट कट की चतुराई छोड़ो,झूठ का पथ दलदल में फंसाता है।
सत्य मार्ग पर काफिले की खुशी,जीवन सार्थक कराता है।
सुकून संतोष प्रज्ञा बुद्धि संग हो,सही रास्ता मिल ही जाता है।
गुरमीत-
सृजन करो
सृजन करो तुम नए विचार नए नवाचार और संस्कार।
समाज और देश निखर जाए,जब नागरिक सृजन को तैयार।
प्रकृति हर क्षण नया सृजन करे,जो बने जीवन आधार।
साथ दीजिए कुदरत का,सीखिए प्रकृति से सृजन का श्रृंगार।
तन मन निरंतर नवीन हो रहा,सृजन से ही बनता आकार।
सृजन होना गर बंद हो जाए,जीवन का फिर नहीं होगा दीदार।
भौतिक अभौतिक रूपांतरण जारी,सृजन है प्रभु उपहार।
आइए हम सभी सहभागी बनें,आनंद की बहेगी अनंत बयार।
गुरमीत
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विश्वास करो खुद पर
विश्वास करो खुद पर,गर चाहो मंजिल को पाना।
सभी में दिव्य ऊर्जा का वास,इसको अपना शस्त्र बनाना।
खुद की खूबियों पर शंका,सबब है राह का भटक जाना।
अविश्वासी नजरिया बन जाता,निराशा अवसाद का फसाना।
अशक्त भी पर्वत चढ़ जाते,आत्मविश्वास का दिखे तराना।
खुद पर भरोसे से तूफान पार,खुद को इतना समर्थ बनाना।
सबकी खूबियां अलग अलग,तुलना कर न दुखी हो जाना।
पहचानो अपनी खूबी और कौशल,वाह वाह करेगा जमाना।
गुरमीत
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कहना नहीं था
कहना नहीं था दुनिया को,अपने घर और दिल का हाल।
कौन अपना कौन पराया,रखिए इसका पूरा ख्याल।
सभी अपने हमदर्द नहीं,मुश्किलों को कर देते विकराल।
मीठी बातों से रहें सतर्क,अपने स्वार्थ में करें इस्तेमाल।
जो सदा बेशर्त साथ देते,उनसे ही बांटिए अपना हर हाल।
सुख दुख में यही साथ रहेंगे,इनसे सफर बने बेमिसाल।
कुछ शोर मचाते कुछ अपने हैं,पहचानिए सही सुरताल।
अपनों से ही साझा करेंगे तो,यात्रा सदा रहे खुशहाल।
गुरमीत
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आवाज देते रहिए
मन तो बहरा हो जाता है,उसे आवाज देते रहिए।
आत्मा को जिंदा रखना है तो,मन पर नियंत्रण रखिए।
हम लापता और मन में शोर,इस शोर को दूर करिए।
अपने लिए भी वक्त निकाल,कभी खुद से भी रिश्ता रखिए।
चुप रहोगे तो गुलाम बनोगे,अपना वजूद बताते रहिए।
बाहर अंदर एक जैसा माहौल,अपना अस्तित्व जिंदा रखिए।
कभी डांट के कभी प्यार से,मन को सच समझाते रहिए।
व्यर्थ का मौन कायरता दिखाता,आवाज सदा बुलंद रखिए।
गुरमीत
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