गुंजन   (गुंजन)
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Joined 19 March 2024


Joined 19 March 2024
23 MAR AT 15:52

कौन सच्चा कौन झूठा
नकाब के पीछे है छुपा
आगे कुछ पीछे कुछ
अनेक चेहरे अनेक रूप
भरोसा किस्से किया जाए
कौन है अपना कौन पराया
कसम खाते गीता पे रख के हाथ
कौन जाने ईमान किसका है डोला
मैं सही तू गलत तू सही मैं गलत
यह विद्रोह सब में है फैला
हर कोई अपना खेल है खेला

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23 MAR AT 8:01

माँ...

बड़ी बड़ी रात बिता दी
मोटी मोटी आंखों से
छोटी छोटी ख्वाहिशें तोड़ दी
अपनी प्यारी मुस्कानों से
पूछो तो कहती है
मेरा तो संसार यही है
बाहर कहाँ खुशियाँ मिले
स्वर्ग मेरा यहीं है
तूफ़ानों से न डरने वाली
मेरे आगे हार जाती है
कमजोर नहीं है वह
मेरे दर्द से डर जाती है
चोट मुझे लगे
दर्द उसे होती है
उम्र भी कम पड जाए
तजुर्बे इतनी रखी है
हर सवालों का उत्तर
हर दर्द का नुस्खे देती है
भूल के भी दिल न दुखे
ये खयाल रखना है












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23 MAR AT 7:09

हम मिट्टी का आशियाना बनाते गए
बना बना कर मिटाते गए
हमें कोई अपना बनाना सका
हम हर किसीको अपना बनाते गए

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22 MAR AT 7:14

मेरे ख्वाब की तुम रात हो
मेरे सितारों की तुम आसमान हो
मैं बहती नदी तो तुम सागर हो
तुम क्या जानो तुम मेरे लिए क्या हो...
मेरे गीत के तुम साज हो
मेरे शब्दों के लिए कागज हो
मैं पानी की बूंदे तो तुम बरसात हो
तुम क्या जानो तुम मेरे लिए क्या हो...


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21 MAR AT 22:34

कई बिछड़े सूखे पतों की तरह
गिनती भी क्या किसने रख पाया है

थोड़ी साँस बाकी है जिस्म में
कुछ हिसाब इसका भी चुकाना है

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20 MAR AT 22:22

अक्सर यह सोच के मेरे कदम रुक जाते है
क्या जाने वाले कभी किसी के लिए ठहरते है
कभी कोई उनको आवाज देता भी है
या मुह मोड़ कर जाना ही उनका फितरत है
सवाल हजार पर जवाब नहीं
यह माया जाल का कोई अंत नहीं
बिखरे पडे है यादों के टुकड़े कई
समेटे कौन कोई पता नहीं
इंतजार कब तक किस हद तक
यहां बेजार मायूसी और नाउम्मीद ही है छाई

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20 MAR AT 10:58

तुम चाहो मुझे
यह चाहत कभी मेरी न थी
तेरे सफर का हमसफर बनूँ
यह कहाँ मेरी कोई ख्वाब थी
मिल गई मुकद्दर
तो चल पडे साथ तेरे
यह सफर यूँही चले ताउम्र
ये गुजारिश है खुदा से मेरे

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20 MAR AT 7:21

कुछ बात है जो मैं कहना चाहूं
तेरे दिल के एक कोने में रहना चाहूँ
थोड़ी सी तो मेरा भी हक्क बनता है
मैं भी तुम्हें बेइंतहा चाहूँ
कहते है तेरे सभी आसपास वाले
तुझे पत्थरों में हीरों की तलाश है
तू जौहरी तो मैं हीरा बनना चाहूं
तेरे चरणों की धूल बन जाऊँ
तू जो सागर है तो
मैं प्यासा बन जाऊँ
बस यही बात है जो मैं कहना चाहूं

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19 MAR AT 22:03

मुझे मालूम है
हाँ मुझे मालूम है
तू मेरा हो कर भी मेरा नहीं है
तेरे जिक्र मैं भी मेरा नाम नहीं है
पर मैं कैसे कह दूँ तू मेरा नहीं है
मुझे मालूम है
हाँ मुझे मालूम है
तेरा प्यार नहीं मेरे हिस्से में
यह उम्मीद न थी न रहेगी
प्यार मेरा एक तरफा है
पर मैं कैसे कह दूँ तू मेरा नहीं है ।

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