माना के अब वो सुहानी रातें नहीं, पहले सी लंबी बातें नहीं...।
न सुबहों में शामिल हो तुम, ना शामें तुम संग बीत रही...।
कभी हंसती कभी रुलाती, ज़िंदगी फिर भी तुम बिन गुज़र रही..।
पर एक राज़ की बात बताती हूँ...।
दिल में एक टीस है, जो तुम तक पहुँचाती हूँ..।
शायद तुम्हें ये अभास हो... मुझे तुम अब भी याद आते हो...।
हाँ.. याद आते हो बारिशों के मौसम में..।
याद आते हो बहुत, चाँदनी रातों में..।
और चलतीं हैं जब सर्द हवाएं, तुम बहुत याद आते हो..।
कैसे बताऊँ इस दिल को के तुम अब कहीं नहीं...।
ये नादाँ तो अब मेरी सुनता ही नहीं...।
मैं तो भुलाना भी चाहूँ मगर इसे तो तुम अब भी याद आते हो...।।
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