आज फिर इस कलम ने उस 'कमल' को कुछ युँ चुना कि...... ✍️
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जब तालाब में खिले उस 'कमल' 🪷 पर 'किरण' ☀ की रोशनी पड़ेगी,
तब वो 'कमल' लोगो को खिलखिलाता और चमकता हुआ बड़ा सुंदर लगेगा......
लेकिन इस बार मेरा मन उस 'कमल' को बस दूर से ही निहारेगा,
और रोक लेगा अपने कदम उसे पाने की चाह मे ...... 👣
क्योंकि मैंने उसकी 'दिखावटी सुन्दरता' 🪷 के साथ,
उसके तालाब में छुपी हुई, कीचड़ के साथ लिपटी हुई -
उन 'जड़ो' को भी देखा है 😔,
जो लोगो को उसकी 'बाहरी सुन्दरता' से कभी नज़र ना आई.....
और बस, उसी कीचड़ में अपने पैर गंदे होने के डर से,
इस बार उसकी सुन्दरता का लुप्त सिर्फ़ इन नज़रो से उठायेंगे....🥲
और सोचेंगे, क्या ये सच में इतना आकर्षित है....
जितना मेरी कलम ने इसे बनाया है,
या है बस एक मन का फेर...❣️
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