टूटकर जब जिम्मेदारियां आती हैं
हसरतें, हसरतें ही रह जाती हैं
जो मुलाकातें देती है जिंदगी
वही मुलाकाते अधूरी रह जाती है-
हम हम कहां रह जाते हैं
आकर कुछ लोग जिंदगी बदल जाते हैं
किसी को करते-करते पूरा
हम खुद अधूरे रह जाते हैं-
पीठ पीछे पहचाने जाते हैं
सामने तो सब अपने नजर आते हैं
पता चलती है वफादारी दूर होकर
सामने सब वफादार नजर आते हैं-
बात विश्वास की करते हैं लोग
मगर विश्वास कहां करते हैं लोग
रखते हैं अविश्वास में विश्वास
झूठ को सच समझा करते हैं लोग-
अपने दिल से बेवफ़ाई करते हैं
हम सभी खुद से फरेब करते हैं
चाहते हैं उसे जो हमें नहीं चाहता
बेवजह अपनों से गुरेज करते हैं-
अगर हाले दिल वो मेरा समझ जाए
ख्वाबों के आसमां को जमीं मिल जाए
खिल जाए मालती , द्वार पर भी मेरे
कदमों के तेरी आहट हमको जो मिल आए
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निखार रिश्ते में तभी आता है
जब दोनों तरफ से निभाया जाता है
यूं तो निभता है एक तरफा भी रिश्ता
बाकी जिंदगी में कहां कुछ रह जाता है
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न जाने क्यों हम में ठहर जाती है
वो मोहब्बत जो मिल नहीं पाती है
उजालों सी क्यों नहीं हो जातीं
ये रातें क्यों दुश्मनी निभाती हैं
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