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Love for life...
There are no winners in life… only survivors.
I have t... read more
आशिक़ी में तेरी मोहब्बत बेच के आया हूं,
कर न सका इनकार, उसके इकरार का।
फलक से दूर आज अपनी वफ़ाई बेच के आया हूं,
महफ़िल सजी थी उसकी विदाई की...
मोहब्बत के नाम आज दिल से हर अरमान चुरा लिया,
उसकी मुस्कान के लिए खुद को मिटा लिया।
ख़ुदा से मांगी थी जो दुआ उसके नाम की,
आज उसी दुआ का असर मिटा के आया हूं।
सजदे में झुका था कभी उसकी चाहत के लिए,
आज उसी सजदे का सबब मिटा के आया हूं।
वो कहती रही अपना जहां बसाना है,
और मैं अपना जहां उसके कदमों में बिछा के आया हूं।
तारीखों में लिखा जाएगा शायद ये अफसाना,
कि एक आशिक़ मोहब्बत की कीमत चुका के आया है।-
बिन कपड़ें के ही आये थे तेरी महफ़िल में प्यारे
एक कफ़न की ख़ातिर दुनिया घुमा दी..-
ख़ुद को खोजने खुद ही निकला था
पूछ बैठा राहगीरों से अपनी मंजिल..
ना ख़ुद को खोज पाया, ना मंजिल ही मिली
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मुझें आवाज ना दे..
सुनसान गलियों में
मैं तो दीवाना हु
तुझे लोग बदनाम कर देंगे...-
बात बनी नही उसकी और मेरी
मैं उसके मोहब्बत में मरना चाहता था
वो मेरी मोहब्बत में जीना चाहती थी-