अगर किसी से चाहत की ख्वाहिश न रखता
तो मर्द अपनी जिंदगी उलझन से परे रखता-
फूल जो थे वो पौधे के आधीन थे
फूल पौधे के कारण ही खिले
फूल पौधे के कारण ही महके
फूल पौधे के कारण ही सुंदर दिखे
फिर पौधे में नयी कलियां खिली
पौधे में खिले फूल झड कर जमीन पर गिरे
पौधे में और फूल आते गए
यही सिलसिला चलता रहा
और जमीन पर गिरे फूलों को
समय कुचल कर आगे चलता रहा-
बस गैर गैर हैं एक तू ही अपना है
तू ही है हकीकत दुनिया तो सपना है
है उम्र जवान तो ही हैं मोहब्बत के दिन
बुढ़ापे में एक दूजे के उपर तो हसना है
हैं कहाँ तेरे जुल्फों के छांव तु भी कहाँ है
उम्र की भरी दोपहरी में तो और तपना है
हो गर खूबसूरत से खूबसूरत बला कोई
मुझे किसी से क्या मुझे तो तुझे तकना है
हो मुकम्मल या कोई हो अधूरी सी दास्तान
मोहब्बत में जी कर यहां हर कोई दफना है
"गुंजन" तुझ में जुनूं देखा और देखा सुकून भी
तु ही बता सफ़र में मिलने को कहां पहुंचना है-
दोस्त ने कहा
शायद उसने देखा होगा मुस्तकबिल
उसने देखे होंगे तेरे साथ कयी सारे ख्वाब
जो ख्वाब शायद कभी हकीकत नहीं होते
इस लिये शायद वो तुझसे दूर हो गयी
शायद वो जान गयी थी के
जो गुजरगाह मंजिल की और न जाती हो
उस पर चलने का मतलब कैसा?
फिर मैंने दोस्त की बातों में हामी भरी
मैंने भी सोचा शायद यही वजह हो
और फिर मेरे जहन में चलने लगे
ऐसे अनगिनत खयाल जो खत्म ही नहीं हुए
उन ख़यालों में जहां मैं खुद को कभी
उसका माना करता था। । ।-
ये मैं कौन सी जगह ठहर गया हूं
जिंदगी,
अखिर क्यूँ में तुझसे डर गया हूं ।
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मुझे आज यह बात
समझ आ गया कि
प्रेम कोई बंधन नहीं
प्रेम वही जो हमें
स्वतंत्र रखे बंधनों से
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तुम्हारे आने की खबर जब
दुनियां को हुई होगी
तब पक्षियों ने गाये होंगे लोरियां
पेड़ों ने जमकर फुल गिराए होंगे
मंद मंद हवाएं बह रही होंगी और
धीरे धीरे बरसात भी आयी होगी
तुम्हें मई की तपन से राहत दिलाने के लिए
अंतरिक्ष में ग्रहों नें सठीक जगह चुना होगा
उपवन सुगंध से महक उठा होगा
और तुम्हारें पहले क्रंदन से
दशों दिशा चहक उठे होंगे
आसमान से परियां भी आयी होंगी शायद
जब तुम्हारे आने से पहले ही
नन्ही एक परी का खयाल आया होगा
माँ ने तुम्हें रोते देख उस दिन
बहुत मुस्काया होगा
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं...-
मैंने गवाया है बहुत कुछ
कभी पाया कुछ नहीं
पर शुऊर ऐ जिंदगी कहता है
यहां जाता जाया कुछ नहीं-
वफा की राह पर जब पैर सम्भलने लग गये
ऐसा है लोगों पर ऐतबार कम होने लग गये
रिश्तों के दरमियान जो भी नजदीकियां थीं
वो वक्त के चलते अचानक ही खोने लग गये
ये दुनिया अजीब है और इसके तौर तरीके भी
हम एक दूसरे के दर्द क्यूँ आखिर ढ़ोने लग गये
ये बात और है के तुझ पर जो मर मिटा था में
मेरे मरने के बाद क्यूँ फरिश्ते भी रोने लग गये
किरदार निभा कर आखिर में जब सोने लग गए
उनके सारे तस्वीर दिल के कोने कोने लग गए
यूँ गौर कर के चीजों को न लिखा कर तू 'गुंजन'
उनके आंसू तेरे खतों से स्याही धोने लग गये ।।।
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