बहुत बेसब्र से हर वक्त
निगाहों में क़ैद रहते हैं
कुछ इंतज़ार के लम्हें
जो कभी फनां नहीं होते !
रूह_से
गुंजन-
तेरा यूं मेहरबां होकर मुझे देर तलक देखना
जैसे कायनात को एक वजह मिल गई ठहरने की!
रूह_से
Gunjan
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रुकने वाला वजह ढूंढता है
और जाने वाला बहाने
इंसानी रिश्तों के हैं यही
अजब गज़ब फसाने!
रूह से
गुंजन-
तुमको पूरा चूमने में सदियां लगेंगी
हर बार कुछ न कुछ छूट जाता है
शायद.....
मुझे फिर से जन्म लेना होगा!
रूह से
गुंजन-
"टीस"
तुम्हारी और मेरी प्रेम कहानी में
सबसे अच्छी यही बात है
न मिल पाने की टीस ज़रूर है
लेकिन तुम्हें पा लिया है
ये ख़ुशी अपरंपार है!
रूह से
गुंजन
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"अंश"
प्रेम अगर पूरा हो तो बात अलग है
लेकिन अगर अधूरा हो
तो उसका एक अंश हमेशा
दूसरे में ही रह जाता है
या यूं कहिए छूट जाता है।
फिर वो दूसरा चाहे फिर
किसी तीसरे का भी हो जाए
अपने अंदर से उस पहले प्रेम के अंश को
अपनेआप से कभी जुदा नहीं कर पाता!
रूह से
Gunjan
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कुछ ज़माने की बात हो
कुछ अपनी बात हो
कुछ दिल की बात हो
कुछ दर्द की बात हो
रूबाई चाहे जैसी भी हो
ख़याल चाहे जो भी रहे
ताबिश ए ज़हन की बात हो
रब की मेहर की बात हो!
रूह_से
गुंजन
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कुछ ज़िंदगी मसरूफ हुई
कुछ इश्क़ मजबूर हुआ
तरकीब न निकली कोई
करार ओ शकेब ला हासिल हुआ।
रूह से
गुंजन-
सिलवटें बता रहीं हैं शब ए गम के निशां
तड़पे हो तुम मेरी तरह बाकी हैं कुछ अरमां।
मुश्किल तो पार उतर जाना है
दरिया ए दिल में डूबना है आसां।
मिल जाओ यूंही कभी तन्हाई में
जाने कब हमपे हो इश्क़ मेहरबां।
तरस जाते हैं सुनने को दो लफ़्ज़
उम्रें गुज़र जाती हैं नहीं मिलता कद्रदां।
रूह से
गुंजन-
कितनी ही बार तोड़ा गया ये दिल
हर बार एक नए औज़ार से
मरम्मत की है
रफ़ू किया है मैंने इसको!
रूह से
गुंजन-