गुमनाम शायर   ("गुमनाम शायर")
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Joined 24 October 2017


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Joined 24 October 2017
14 SEP 2022 AT 16:54

अब तक जितने बुद्ध हुए उनकी तरफ कुछ बुद्धिजीवी
आकर्षित हुए, ओर उनके आकर्षण का कुल कारण केवल इतना था की पीछे तमाम बुध्दो ने सदियों से चले आ रहे रूडीवादी धर्म की आलोचना की, किंतु फिर एक अजूबा घटा, वे सारे कथाकथित्त बुद्धिजीवी आलोचना करना सीखे ओर फिर उन्होंने बुद्ध की ही आलोचना करनी शुरू कर दी

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१सदी पहले कई देशों में ये व्यवस्था थी की
सारा गांव मिल कर चिकित्सक को इस लिए
महीने की कुछ राशि देते थे,ताकि चिकित्सक
ये सुनिश्चित करे की गांव में कोई बीमार न पड़ जाए
ओर अगर ऐसा होता तो चिकित्सक को उस व्यक्ति को
कुछ राशि देनी पड़ती थी, धर्म मंदिर आश्रम गुरु ये सब भी एक तरह की मानसिक चिकित्सा का काम
समय समय पर करते रहते हे, ताकि समाज की मानसिक विकृत्यो को रास्ता मिल सके, हमारे भीतर मौजूद हीनता, तनाव, अशांति,हमे ओर हमारे जीवन को तबाह न कर दे

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12 SEP 2022 AT 21:00

सुख दुख , धूप छाव, धर्म अधर्म
सफलता असफलता, जवानी बुढ़ापा
खुशी गम, दोस्त दुश्मन, जीवन मृत्यु
ऐसा कोई नहीं इस संसार में जिसने
कभी न कभी अपने जीवन में इन सबका
सामना नहीं किया होगा, इन सब के समन्वय
का नाम ही जीवन हे,इसके अलावा कोनसा जीवन
कोनसा ईश्वर तुम खोजते रहते हो ? गुरुओं को जा
पूछते रहते हो?

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The unknown knowing of being
Is running the show

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गुरु कृपा साधारण बुद्धू व्यक्ति को बुद्ध तक
ले जाने में सहायक बन सकती हे

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11 SEP 2022 AT 12:25

राम वन में थे, मुश्किल जीवन व्यतीत कर रहे थे
किंतु सारा जीवन उन्होंने ये सुनिश्चित किया की आसपास के लोग किसी तरह सुखी हो पाए,
राम जहा से गुजरे उनके जीवन को सुखी ओर
सुगम बनाते हुए गुजरे, इससे उलट रावण महल में था
किंतु सारा जीवन उसने ये सुनिश्चित किया की लोग दुखी रहे,ओर अंत में अपने परिवार को भी अपने दुख के चलते दुखी कर चला गया, तुम्हारे भीतर राम जैसे जैसे बढ़ेगा तुमसे बाहर सुख फैलने लगेगा, तुम्हारे भीतर रावण जैसे जैसे बढ़ेगा तुमसे बाहर दुख फैलने लगेगा

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11 SEP 2022 AT 12:05

तुम एक वस्तु लेना चाहते हो, तुम उसे ले भी सकते हो पर तुम नही लेते ,ओर न ले पाने के दुख को जीते रहते हो, तुम किसी व्यक्ति से दोस्ती करना चाहते हो तुम कर भी सकते हो पर नही करते ओर दोस्ती न कर पाने के दुख को जीते रहते हो,फिर दुखी रहना स्वभाव हो जाता हे,फिर धीरे धीरे ऐसे व्यक्ति और वस्तुओ की कामना करने लगते हो,जिन्हे अब पाना ना मुमकिन हे, किंतु क्यू की दुखी रहना हे, इस लिए उसका इंतजाम खोज लेते हो, वस्तु ओर व्यक्ति कभी सुखी नही कर सकते हा दुखी जरूर कर सकते हे,ओर अपने अनुभव से देखो,पीछे ऐसी कितनी वस्तुएं तुम्हे चाहिए थी, वो मिली भी किंतु सुख नहीं मिला.

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Disciple- O master what is life????
Master - life is a dream
Disciple- o master really? Then who the hell is watching this dream
Master - no 1is watching this dream it's happening by it self
Disciple- master when & how I will awak from this dream called life?
Master- why you think that you will awake from this dream & how you will awake your self is also dream,
Disciple- so master how you manage to awake in this dream called life pls guide me
Master-when you are unreal why you think I am real?
Disciple- but i can see you hear you feel you
Master- i am nothing but onley un appearence in dream in wich you are playing disciple & i am playing master

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सारी जानने की यात्रा एक दिन तुम्हे एक ऐसे
बिंदु पर ले आती हे, जहा तुम बस इतना कह
पाओगे की में कुछ भी नही जानता, फिर तुम्हारे
पास प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में केवल मौन होगा
जिसे तुम दे पाओगे

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सनातनी अर्धनारेश्वर की प्रतिमा की पूजा करते हे
वो शिव का ही एक रूप हे, अर्धनारेश्वर मतलब
आधी स्त्री ओर आधा पुरुष,जब व्यक्ति के भीतर
स्त्री सा ठहराव स्त्री सी प्रतीक्षा ओर पुरुष सा सामर्थ
पुरुष सी इच्छा शक्ति जन्म लेती हे,तो व्यक्ति अर्धनारेश्वर हो जाता हे, सारे पुरुष अधूरे हे क्यू की वे केवल पुरुष बने रहते हे, सारी स्त्री अधूरी हे क्यू की वे केवल स्त्री बनी रहती हे,जब की हमारा होना स्त्री पुरुष दोनों की वजह से संभव हो पाया हे, भीतर जब संतुलन का जन्म होगा, बाहर अर्धनारेश्वर का जन्म होगा

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