गुमनाम शायर   (🅷🅰🆁🆂🅷🅸🆃 🆂i🅽🅶H)
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'त्यागी' 10 Mᴀʏ ᴡʜᴇɴ ᴍʏ Lᴏʀᴅ ᴍᴀᴅᴇ ᴍᴇ ᴀᴡᴀʀᴇ ᴏғ ᴛʜɪꜱ ᴡᴏʀʟᴅ. Aɴᴅ ʙʀɪɴɢ ᴍᴇ ᴛᴏ ᴛʜɪꜱ ᴍᴇᴀɴ ᴡᴏʀʟᴅ.
Joined 14 November 2019


'त्यागी' 10 Mᴀʏ ᴡʜᴇɴ ᴍʏ Lᴏʀᴅ ᴍᴀᴅᴇ ᴍᴇ ᴀᴡᴀʀᴇ ᴏғ ᴛʜɪꜱ ᴡᴏʀʟᴅ. Aɴᴅ ʙʀɪɴɢ ᴍᴇ ᴛᴏ ᴛʜɪꜱ ᴍᴇᴀɴ ᴡᴏʀʟᴅ.
Joined 14 November 2019

मातृ भूमि के कारण जीवन अपना कुर्बान किए थे।
वो भारत मां के लाल थे जो हस कर अपना जान दिए थे।।
खड़े रहे अकेले वो हिम्मत कभी ना वो हारे थे।
हारे थे वो जान से पर वो अपना शीस कभी ना झुकाए थे।।
झुका जो शिर तो सामने तिरंगा था यूं ही नहीं वो शहीद कहलाए थे।
भारत मां के लाल थे जो अपना जान गवाए थे।।
आज़ादी यूं ही नही हम सब पाए थे।
आजाद भगत सिंह राजगुरु सुखदेव जैसे ना जाने कितनो ने ही शीश कटवाए थे।।
एक बिद्रोह छिड़ी थी जग में हुंकार भरे थे सब
मिल कर साथ हुवे थे तो उनपे गोलियां भी चलवाए थे।
ना डरे ना कुछ समझे शहीदो ने ये कदम उठाए थे।।
भीड़ गए अंग्रेजो से कइयो ने तो सिने पर गोलियां खाए थे।
भारत मां के लाल थे जो अपना जान गवाए थे।।

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सुना क्या कह रहे है ये लोग तुम्हे गुमनाम 
अपनो की बातो का ज़िक्र आज कल फ़िक्र से कुछ ज्यादा हो रहे हैं।।

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26 OCT 2023 AT 13:13

ज़िक्र तेरा हो और मैं खामोश हो जाऊ।
फिक्र में तेरे हर रात मै गुमनाम को रुलाऊ।।
कशीश जो पूछे कोई कि होता है क्या।
तो बड़े ही सिद्दत से तेरा नाम मैं गुनगुनाऊ।।

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10 OCT 2023 AT 16:59

एक दफा तेरे दिए ज़ख्मो पर गुमनाम मरहम लगाएगा।
सोचेगा तुझे और भरी महफिल में बेवफाओ से पहले तेरा नाम पुकारेगा।।

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जो फन्हा लिया वो गम कहा था।
इश्क में मुश्किलें कम कहा था।।
गुमनाम साजिसो में नही अपनो में उलझ गया था।
वरना गैरो से भी रिश्ता कम कहा था।।

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20 SEP 2023 AT 20:41

ख़्वाबो का सफ़र
एक सफ़र में मानो जैसी मेरी सारी सफ़र पूरी हो गई हो।
एक जानी सी शहर में एक अनजानी से मुलाकात हो गई हो।।
उसकी निगाहे मानो जैसे काले बादल उसके काजल चुराया हो।
होंठो को उसका यूं सिकोड़ना मानो जैसे कोई गुलाब की पंखुड़ियों को
मुट्ठी मे भीच कर लाया हो।।
गुमनाम अधूरा सा बन गया हो मानो जैसे किसी नाम की तलास में हो।  
उससे हो एक मुलाकात गुमनाम के शहर में मानो जैसे उसी आस में हो।।
थोड़े से घुंघराले बाल उसके मानो जैसे गालों को तंग सा कर रहे हो।
गुमनाम उन्हे हटाना चाहता हो मानो जैसे चाहत एक इबाददत सा हो।।
सफ़र छोटा और एक तरफ़ बाते हो लंबी
गुमनाम एक ऐसे सफ़र में उसके साथ जाना चाहता हो।
सुबह का वक्त है नींद अधूरी सी गुमनाम सो सके उसको देख कर
मानो जैसे वो ऐसा वक्त बिताना चाहता हो।
ख्वाबों की दुनियां मानो जैसे गुमनाम की बदल सी गई हो।
एक साधारण से रवैये पर जैसे मानो गुमनाम की सारी चाहते वही मर गई हो।।
ये एहसास कैसा है जिसको अब तलक मैं समझा नही।
इश्क है गुमनाम ये भी कहता नही।
ज्जबातो को दबाना चाहता हो गुमनाम मानो जैसे दिल की उस बात को छिपाना चाहता हो।।
सफ़र गुमनाम का लगता है खत्म हो जाएगा हो।
चाहा है जिसे लगता है वो ख़्वाब यही बीच राह में छूट सा जायेगा हो।।

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16 SEP 2023 AT 10:39

तेरे दिए ज़ख़्मो पर मरहम लगा लूंगा।
कोसिस करूंगा और तुझे भुला दूंगा।।
शिफा मिलेगा गुमनाम को तेरे नाम से।
और मैं अपने मेहबूब का नाम खुदा बता दूंगा।।
आईने पर जब कभी मेरी नजर जायेगी।
सोचूंगा तुझे और फिर मुस्कुरा दूंगा।।
करवटे बदलता रहा मैं रात भर।
सपनो में तुम्हे गले से लगा कर ख़्वाब पूरा करूंगा।।
तेरे दिए ज़ख्मो पर मरहम लगा लूंगा।
दिल_ए_शुकून के लिए तेरी सारी यादें मिटा दूंगा।।
तेरे दिए ज़ख़्मो पर मरहम लगा लूंगा।
कोसिस करूंगा और तुझे भुला दूंगा।।

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12 SEP 2023 AT 16:41

उसके ही शहर के हर सक्स से रिश्ता
फिर भी आज गुमनाम बन गया।
हर रास्ते से वाकिफ था फिर भी
मंजिलों की चाह में गुमराह बन गया।।

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सबने पूछा की रुकसत के वक्त आंखो में आशु क्यों नहीं।
मैने कहा मेहबूब मेरी खुश हैं इसी में तो भला मैं हसू क्यों नही।।
जवाब जरूरी था या प्यार भला
चाह कर भी मैं अपने जज्बातों को रोकू क्यों नहीं।
भले ही रकीबो सी हरकते उसकी पर इश्क सच्चा था मेरा
तो भला मैं अपने मेहबूब को अच्छा बोलू क्यों नहीं।।

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देखो चाहा तुझे और सारा मसाला हल हो गया।
एक आवाज़ लगाई और मौत मुकम्मल हो गया।।

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