मातृ भूमि के कारण जीवन अपना कुर्बान किए थे।
वो भारत मां के लाल थे जो हस कर अपना जान दिए थे।।
खड़े रहे अकेले वो हिम्मत कभी ना वो हारे थे।
हारे थे वो जान से पर वो अपना शीस कभी ना झुकाए थे।।
झुका जो शिर तो सामने तिरंगा था यूं ही नहीं वो शहीद कहलाए थे।
भारत मां के लाल थे जो अपना जान गवाए थे।।
आज़ादी यूं ही नही हम सब पाए थे।
आजाद भगत सिंह राजगुरु सुखदेव जैसे ना जाने कितनो ने ही शीश कटवाए थे।।
एक बिद्रोह छिड़ी थी जग में हुंकार भरे थे सब
मिल कर साथ हुवे थे तो उनपे गोलियां भी चलवाए थे।
ना डरे ना कुछ समझे शहीदो ने ये कदम उठाए थे।।
भीड़ गए अंग्रेजो से कइयो ने तो सिने पर गोलियां खाए थे।
भारत मां के लाल थे जो अपना जान गवाए थे।।
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