गुमनाम khan   (गुमनाम Khan)
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Joined 8 July 2018


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Joined 8 July 2018
24 SEP 2021 AT 9:49

तन्हाई का सफर था ,हर लम्हे उम्र की कांटे सी कटी;
सब्र की आमद ने मोहब्बत को उरूज पर पहुंचा दिया।

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9 MAR 2021 AT 12:14

बुरे वक्त पर कुछ लोग तो दूसरों को तोड़ देते हैं खुदको जोड़ने के लिए,
पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो खुद टूट कर भी दूसरों को जोड़ते हैं....!

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25 FEB 2021 AT 9:38

ये दर्द की आंधी है उस वक्त जब तेरी हर जगह बदनामी है,
सब्र की बात है "आ'खान" फिर देख हर पल सफलता आनी है।

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23 FEB 2021 AT 17:59

हम जिसे पत्थर समझ कर पिघलने का इंतज़ार कर रहे थे...
वो तो कब से पानी ही थे, बस दूर ठहरे हमे बेकरार कर रहे थे।

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21 FEB 2021 AT 19:21

युसूफ की कैद का सब्र चाहिए ऐ "आ'खान",🤲
फिर देखना लाखों जुलेखाए तुझ पर होगी कुर्बान ।😊

युसूफ की कैद का सुकून चाहिए ऐ "आ'खान",🤲
फिर देखना लाखों जन्नत तुझ पर होगी कुर्बान ।😊

युसूफ की कैद का ईमान चाहिए ऐ "आ"खान",🤲
फिर देखना लाखों नेकियां तुझ पर होगी कुर्बान ।😊

युसूफ की कैद का गुमनाम चाहिए ऐ "अ'खान",🤲
फिर देखना लाखों मंजिल तुझ पर होगी कुर्बान ।😊

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18 FEB 2021 AT 10:11

वक्त भी मेरा, जुर्म भी मेरा, हिसाब भी मेरा, भुगतना भी मेरा, ;
फिर मेरी हर खता की सजा उस क्यों दी जा रही है।

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18 FEB 2021 AT 7:53

दौरे पुर सुकून की तलाश में दरबदर हुए,
मंजिल ही करीब थी लेकीन बेखबर हुए।

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18 FEB 2021 AT 0:26

मेरे हर दर्द में शिद्दत से उम्मीद की आंधी है,
बस वक्त की बात है वरना सब गुमनामी है।

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17 FEB 2021 AT 8:32

हर तरफ गिरकर टूट गए पत्तो की तरह उम्मीद की साख से,
देखते ही पूरे दरख़्त का हर पत्ता जिंदगी गुमनाम कर गया।

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16 FEB 2021 AT 12:51

कभी पहाड़ भी गिरें तो फर्क नहीं पड़ता,
कभी रेत का कतरा भी गहरा ज़ख्म दे गया।

कभी तलवार के घाव से नहीं कटते मेरे बाज़ू,
कभी सूई का चुभना भी अपाहिज कर गया।

कभी हर किसीकी धुतकार से न हिले मेरे कदम,
कभी किसीका नज़र फेरना भी मेरी ज़िन्दगी ले गया।

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