प्रेम पर
कितना कुछ कहा गया, लिखा गया
तो
मेरी दासता कुछ यू हैं कि
उन्हें
उन फूलो से प्रेम था
जिसे मुझे प्रेम था
ये ख़बर उनतक पहुंची
और ख़बर मुझ तक भी आई
फिर प्रेम अमर रहा
सादिया गुजरती हैं
ये खिलते रहते है हर साल
और याद हमेशा आती हैं
पर मुस्कुराते हुए
क्योंकि मैं,वो और ये
कभी उलझे नही.. कही पर भी नही।
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