कुछ दिन और बगावत कर ले मुझसे मेरी जान,
जल्द छोड़ देंगे तेरा शहर तेरी गलियां तेरा गांव ।।-
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ज़िद और अंहकार कि दीवार खड़ी कर दी उसने,
वरना उसे भी रूहानी मुहब्बत हो ही जाती हमसे ।।-
मेरे किरदार पर झूठे इल्ज़ाम लगा रही है वो,
कुछ इस तरह अपने झूठ छुपा रही है वो ।
बेपर्दा कर दूं उसे मेरे उसूलों में नहीं है यारों,
मेरी इसी शराफ़त का फायदा उठा रही है वो ।।-
झूठ बोलकर खिलखिला उठे वो,
मैंने सच कहा तो बिलबिला उठे वो ।
जिनके रिश्ते लबालब थे फरेब से,
आईना दिखाया तो तिलमिला उठे वो ।।-
ज़िम्मेदारियों के सब भार बेमानी हो गये,
जब अपने ही हिस्से को अपने कंधों पर रखा ।।-
जमाना महसूस करेगा तुझे मुझे मेरी शायरी में,
दिल रोशन ग़ैर का करेगी चर्चे होंगे मेरी डायरी में ।।-
जिनके लिए हम तबाह हो रहे होते हैं,
अक्सर वो बेकद्रों पर खर्च हो रहे होते हैं ।।-
हम बरसते रह गए उन पर आवारा बादल कि तरह,
वो तरसते रह गए गैरों के मकां में पागल कि तरह ।।-
मुद्दतों से ये दिल आबाद ना रहा,
तन्हाइयों से कभी आजाद ना रहा ।
छुपाऊं तो जमाने से क्या छुपाऊं,
तेरे सिवा अब कोई राज ना रहा ।।-