कुछ लोग कहते हैं वो मेरे अपने हैं,
ऐसा नही हैं साहब अगर होते तो यहां वहां बुराइयां नही करते।
गुलशन साहू(छत्तीसगढ़िया)-
चमक फीका रखना ही सही हैं,
मैने सुना हैं, रोशनी ज्यादा होने पर लोग देख नही पाते।
गुलशन साहू(छत्तीसगढ़िया)-
किसी ने क्या खूब कहा हैं....
शांखों से टूट जाए, वो पत्ती नहीं हैं हम
आंधी से कह देना अपनी औकात में रहे।
गुलशन साहू(छत्तीसगढ़िया)-
नन पन ले जेखर संगती मिलिस,
साथ मा जेखर खेलेन बढ़ेन,
जिन्दगी के सबो ऊंच - नीच मा,
एक - दूसरा के साथ खड़े रहेन।
संगत मा रहे ले जेखर हो जाथे सब चिंता दूर,
एक बार गला मिल के प्यार मिल जाथे भरपूर।
जो हर बात मा हमन ला समझाथे,
अउ बात बात मा जेन हमर मन से झगड़ा कर जाथे।
जे प्यार के देथे हमन ल ज्ञान हे,
हमर गुरू जी के नाम महान हे।
"गुलशन साहू"
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नहीं थी परवाह मुझे उसकी,
और वो मुझसे रूठती चली गई,
कुछ दिन मैंने और रुक के देखा और वो टूटती चली गई।
गुलशन साहू(छत्तीसगढ़िया)-
समय का क्या हैं जनाब,
वो तो सबकुछ गुमशुम सा कर गया हैं,
घर में रहने को लोगो को मजबुर सा कर गया हैं।
हॉस्पिटलों में बिस्तर के कोई आसार नहीं दिख रहें,
आपस में मिलके रहते अब हर घर बार दिख रहें हैं।
हौसला लोगों में आज हर दूसरा इंसान भर रहा हैं,
खुद बिस्तर में होने के बाद भी वो दूसरों के लिए मिन्नते कर रहा हैं।
इंसानों में आज ये इंसानियत जगा गया हैं,
अब यह समय भी हमको कुछ नया सा सीखा गया हैं।
गुलशन साहू (छत्तीसगढ़िया)
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क़यामत तक की थी सिफारिश उसकी,
पर लोगो ने उसको प्यार का नाम दे दिया।
गुलशन साहू (छत्तीसगढ़िया)-
हमेशा छोटा बन जाता हूं मैं,
जब बात मां - पापा और अपने से बढ़ो की होती हैं।
गुलशन साहू (छत्तीसगढ़िया)-
अब खुद में खुद को ढूढ़ने चला हुं,
जो लोगों के बीच कहीं खो बैठा था😟
गुलशन साहू (छत्तीसगढ़िया)-