Gulshan Rahi  
1.5k Followers · 579 Following

read more
Joined 12 September 2020


read more
Joined 12 September 2020
25 FEB AT 16:49

जीवन रूपी खेल मैं अक्सर,
होता ऐसा एक छलावा है....
जाना पड़ता सब छोड़ छाड़ के,
आता रब का जैसे बुलावा है....
चले गए का कोई हाल ना पूछे,
रब से कोई भी सवाल ना पूछे
बस पछतावा ही पछतावा है....
जीवन रूपी खेल में अक्सर ,
होता ऐसा एक छलावा है ....
जाना पड़ता सब छोड़ छाड़ के,
आता रब का जैसे बुलावा है ...

-


19 FEB AT 11:15

Zindagi char Dina da mela h
kdi dhup Kdi chan da vela h----2
(1) Dukh vi milne
Sukh vi milne----2
Samajh Ona ni ki jhamela h
Kdi dhup Kdi chan da vela h
Zindagi char Dina da mela h---2
(2) Ithe jo vi aaya
Na Sda reh paya----2
Ithe chala chli da rela h
Kdi dhup Kdi chan da vela h
Zindagi char Dina da mela h---2
(3) Tu soch ke eh hairaan na ho
Is duniyan to preshan na ho----2
Ithe gair koi te koi bela h
Kdi dhup kdi chan da vela h
Zindagi char Dina da mela h----2
💐🌹---Dedicated to dear mata ji---🌹💐
Written by-" Gulshan Rahi"

-


17 FEB AT 23:11

कुछ रिश्ते ज़िंदगी के "राही" पैरों में चुभे शूल से होते हैं
या तो होता है धौखा कोई या अपनी ही भूल से होते हैं

-


17 FEB AT 17:30

अगर था प्यार तो प्यार जताना होगा
ए मेरी माँ तुझे वापस तो आना होगा
तूने सब कुछ जो लुटाया है हम् पर
कुछ ना कुछ हमको भी लोटाना होगा

-


16 FEB AT 15:24

छिन गया ममता का आँचल ,
सूनी सूनी सी मेरी प्रभात है--
दिन है मायूसियों के जैसे भरा ,
ख़ामोश ख़ामोश सी रात है--
ख़ुद को समझाने की सब कोशिशें,
अब नाकाम हो चली हैं--
लूट लिया जैसे सब कुछ किसी नें,
कुछ इस क़दर हालात है--








-


14 FEB AT 15:52

यूँ तो मिल जाते हैं जहां में कई अपनापन जताने वाले
लेकिन कोई "माँ"जैसे थोड़ी होते हैं नख़रे उठाने वाले

-


14 FEB AT 10:29

ख़ाहिशों को ना रखा कीजिए सम्भाल सम्भाल के
इन्हें पूरा भी कर लिया कीजिए फ़ुर्सत निकाल के
ना जाने कब टूट जाये डोर ज़िन्दगी की क्या पता
क्योंकि कोई बच ही नहीं सकता फ़ाँस से काल के

-


14 FEB AT 8:59

होता नहीं यक़ीं के"माँ"अब तुम नहीं हो
हाँ जिस देह में थी कल ,आज नहीं हो
ता -उम्र रहोगी मेरे एहसासो में मेरी "माँ"
तुम आज भी मेरे पास यहीं हो, यहीं हो...

-


13 FEB AT 22:55

वो जिनसे मिल के मेरी रूह को सकून मिलता था
मेरे दिल को धडकनें के लिए जिनसे खून मिलता था
कैसे कटेगी ज़िंदगी अब जब वो नहीं रहे इस दुनियाँ में
इक वो ही तो थे जिनसे जीने का जनून मिलता था




-


13 FEB AT 20:44

हालात बदल जाते है कितना
ज़रा इक बे मोसम के झोंके से
आँखें खोल देता है जब ये वक़्त
इस ख़ुशनुमां ज़िंदगी के धोके से

-


Fetching Gulshan Rahi Quotes