मेरे धड़कते दिल का करार हो तुम भले एक तरफा ही सही मेरा प्यार हो तुम जानते हो खूब यूं तो हालत मेरे बेचैन दिल की खामोश हो फिर भी बोलो ना क्यों नहीं तैयार हो तुम
ये माना के जिंदगी के कुछ फैसले कड़वे घूट से होते हैं........... कभी छोड़ना भी पड़ता है उस शे को जिसे प्यार से हम संजोते हैं......... अफसोस वो करें"राही"जो वसीयत मे मिला भी संभाल ना पाया हो.......... खुद मेहनत से अपनी तकदीरें लिखने वाले कभी नहीं रोते हैं............
शिकन तक नहीं माथे पे कोई तेरे घर से आकर के भी इतनी दूर खींच लाई है तुझे मोहब्बत तेरी या फिर कोई बात और है जरूर शक की निगाह में है तूं कईयों की किसी की नज़र में बन बैठी है हूर खुदा जाने माजरा क्या है "राही" कोई मारा ना जाए इसमें बेकसूर